नई दिल्ली: भारतीय खेलों में अपनी तरह की पहली अनुशासनात्मक कार्रवाई में भारतीय कुश्ती महासंघ ने पेरिस ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता अमन सहरावत को एक साल के लिए बैन कर दिया है। यह कार्रवाई हाल ही में जगरेब, क्रोएशिया में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में उनके वजन निर्धारित सीमा से अधिक पाए जाने के कारण की गई है। 22 साल के अमन अपनी बाउट से पहले आधिकारिक वेट-इन के दौरान 57 किलोग्राम की निर्धारित सीमा से 1.7 किलोग्राम अधिक पाए गए थे।
WFI ने अमन के अयोग्य घोषित होने के बाद अनुशासनहीनता और ओलंपिक पदक विजेता से पेशेवर मानकों को बनाए रखने में विफलता का हवाला देते हुए कड़ा कदम उठाया है। यह प्रतिबंध 23 सितंबर, 2025 से 22 सितंबर, 2026 तक प्रभावी रहेगा, जिसके कारण अमन जापान में होने वाले 2026 एशियाई खेल सहित कई प्रमुख आयोजनों से बाहर हो जाएंगे। दो बार के जूनियर विश्व चैंपियन अमन को खासकर अगस्त में यासर डोगू टूर्नामेंट में स्वर्ण और जून में उलानबटार ओपन में कांस्य जीतने के बाद शीर्ष पदक संभावितों में गिना जा रहा था।
WFI का निलंबन पर आया बयान
इस पूरे मामले पर WFI ने ने अपने बयान में कहा, 'आप उस निर्धारित वजन वर्ग (57 किलोग्राम) को बनाए रखने में विफल रहे जिसके लिए आपका आधिकारिक चयन किया गया था। इस कारण आपने भारत को संभावित पदक के अवसर से वंचित कर दिया और आपकी भागीदारी और ट्रेनिंग पर भारत सरकार द्वारा किए गए खर्च के कारण एक महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान भी हुआ। यह निर्णय अंतिम और बाध्यकारी है। निलंबन की अवधि के दौरान आपको राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर WFI द्वारा आयोजित या स्वीकृत किसी भी गतिविधि में भाग लेने या उससे जुड़ने से रोक दिया जाता है।'
सुनवाई के दौरान अमन मांग की गई सफाई
5 अक्टूबर को हुई अनुशासनात्मक सुनवाई में WFI अध्यक्ष संजय सिंह, चयन समिति के सदस्य, मेडिकल टीम, अमन और उनके कोचिंग स्टाफ ने भाग लिया। जबकि कोचों को औपचारिक चेतावनी के साथ छोड़ दिया गया, WFI ने अमन की सफाई को असंतोषजनक पाया और प्रतिबंध के साथ आगे बढ़ा।
महासंघ ने इस बात पर जोर दिया कि एथलीट को क्रोएशिया में वजन और फिटनेस बनाए रखने के लिए 18 दिन दिए गए थे फिर भी वह आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहे। WFI ने कहा, 'एक ओलंपिक पदक विजेता के तौर पर WFI आपसे अनुशासन, व्यावसायिकता और प्रतिबद्धता के उच्चतम मानकों की अपेक्षा करता है। इन मानकों विशेष रूप से अपने वजन प्रबंधन में विफल रहने से न केवल आपकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता प्रभावित हुई है, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की छवि भी धूमिल हुई है, जिससे कुश्ती बिरादरी और समर्थकों में निराशा फैली है।'
विनेश फोगाट का मामला
यह पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय पहलवान को वजन के मुद्दों के लिए सख्त नतीजों का सामना करना पड़ा है। 2024 पेरिस ओलंपिक में स्टार पहलवान विनेश फोगाट को भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में पहुंचने के बावजूद फोगाट को वजन सीमा से 100 ग्राम अधिक होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनकी टीम ने वजन कम करने के लिए उनके बाल काटने और खून निकालने जैसे कड़े उपाय भी किए थे, लेकिन ये प्रयास असफल रहे। कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट ने अयोग्यता को बरकरार रखा था, जिसके बाद फोगाट ने कुश्ती से संन्यास लेने पर विचार किया था।
WFI ने अमन के अयोग्य घोषित होने के बाद अनुशासनहीनता और ओलंपिक पदक विजेता से पेशेवर मानकों को बनाए रखने में विफलता का हवाला देते हुए कड़ा कदम उठाया है। यह प्रतिबंध 23 सितंबर, 2025 से 22 सितंबर, 2026 तक प्रभावी रहेगा, जिसके कारण अमन जापान में होने वाले 2026 एशियाई खेल सहित कई प्रमुख आयोजनों से बाहर हो जाएंगे। दो बार के जूनियर विश्व चैंपियन अमन को खासकर अगस्त में यासर डोगू टूर्नामेंट में स्वर्ण और जून में उलानबटार ओपन में कांस्य जीतने के बाद शीर्ष पदक संभावितों में गिना जा रहा था।
WFI का निलंबन पर आया बयान
इस पूरे मामले पर WFI ने ने अपने बयान में कहा, 'आप उस निर्धारित वजन वर्ग (57 किलोग्राम) को बनाए रखने में विफल रहे जिसके लिए आपका आधिकारिक चयन किया गया था। इस कारण आपने भारत को संभावित पदक के अवसर से वंचित कर दिया और आपकी भागीदारी और ट्रेनिंग पर भारत सरकार द्वारा किए गए खर्च के कारण एक महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान भी हुआ। यह निर्णय अंतिम और बाध्यकारी है। निलंबन की अवधि के दौरान आपको राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर WFI द्वारा आयोजित या स्वीकृत किसी भी गतिविधि में भाग लेने या उससे जुड़ने से रोक दिया जाता है।'
सुनवाई के दौरान अमन मांग की गई सफाई
5 अक्टूबर को हुई अनुशासनात्मक सुनवाई में WFI अध्यक्ष संजय सिंह, चयन समिति के सदस्य, मेडिकल टीम, अमन और उनके कोचिंग स्टाफ ने भाग लिया। जबकि कोचों को औपचारिक चेतावनी के साथ छोड़ दिया गया, WFI ने अमन की सफाई को असंतोषजनक पाया और प्रतिबंध के साथ आगे बढ़ा।
महासंघ ने इस बात पर जोर दिया कि एथलीट को क्रोएशिया में वजन और फिटनेस बनाए रखने के लिए 18 दिन दिए गए थे फिर भी वह आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहे। WFI ने कहा, 'एक ओलंपिक पदक विजेता के तौर पर WFI आपसे अनुशासन, व्यावसायिकता और प्रतिबद्धता के उच्चतम मानकों की अपेक्षा करता है। इन मानकों विशेष रूप से अपने वजन प्रबंधन में विफल रहने से न केवल आपकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता प्रभावित हुई है, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की छवि भी धूमिल हुई है, जिससे कुश्ती बिरादरी और समर्थकों में निराशा फैली है।'
विनेश फोगाट का मामला
यह पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय पहलवान को वजन के मुद्दों के लिए सख्त नतीजों का सामना करना पड़ा है। 2024 पेरिस ओलंपिक में स्टार पहलवान विनेश फोगाट को भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में पहुंचने के बावजूद फोगाट को वजन सीमा से 100 ग्राम अधिक होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनकी टीम ने वजन कम करने के लिए उनके बाल काटने और खून निकालने जैसे कड़े उपाय भी किए थे, लेकिन ये प्रयास असफल रहे। कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट ने अयोग्यता को बरकरार रखा था, जिसके बाद फोगाट ने कुश्ती से संन्यास लेने पर विचार किया था।
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