श्रीनगर/नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने रविवार को आतंकियों की मदद करने के आरोप में जिन दो लोकल कश्मीरियों परवेज अहमद जोधर (21) और बशीर अहमद जोधर (40) को गिरफ्तार किया था। सोमवार को उनकी पांच दिन की रिमांड मिल गई। एनआईए अब इन्हें बैसरन घाटी में ले जाने समेत उन तमाम स्थानों पर भी ले जाएगी। जहां-जहां इन्होंने हमले को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैबा के तीनों पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद की थी। हालांकि, मामले में अभी यह साफ नहीं है कि हमले से अगले दिन 23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जिन तीन लोगों को आतंकवादी बताते हुए स्केच जारी किए गए थे। क्या यह वही हैं। जिनका जिक्र गिरफ्तार दोनों लोकल कश्मीरियों ने किया है।
आतंकियों पर घोषित है इनाम
मामले में खबर लिखे जाने तक एनआईए सूत्र भी यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि आतंकवादियों के दोनों ग्रुप अलग-अलग हैं या फिर एक ही हैं। हालांकि गिरफ्तार दोनों कश्मीरियों ने एनआईए को साफतौर पर बताया कि उनके पास जो रुके थे। वह तीन पाकिस्तानी थे और वह तीनों आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी थे। जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को बैसरन घाटी में 26 लोगों की हत्या करने वाले आतंकवादियों की पहचान के रूप में हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान, अली भाई उर्फ तलहा भाई और आदिल हुसैन ठोकर के नाम बताए थे। तीनों के उपर 20-20 लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है। इनमें से हाशिम और अली भाई को पाकिस्तानी नागरिक बताया था और आदिल को लोकल अनंतनाग का रहने वाला बताया गया था। तीनों को लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी बताए गए थे।
दो थ्योरी आ रही हैं सामने
लेकिन एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए इन दो कश्मीरियों ने तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी बताए हैं। ऐसे में सवाल यही है कि क्या जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बताए गए तीनों आतंकवादी हमले में शामिल थे या फिर एनआईए ने जो पाकिस्तान के तीन आतंकवादी बताए हैं। उन्होंने हमला किया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि दोनों ग्रुप वाले यह आतंकवादी हमले में शामिल हों। या फिर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बताए गए आतंकवादियों का इसमें कोई रोल ही ना हो। बहरहाल, इस बारे में एनआईए की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में मंगलवार को तस्वीर साफ होगी। इस बीच एनआईए ने जम्मू कोर्ट में दोनों आरोपियों को पेश किया। जहां से इनकी पांच दिन की रिमांड मिल गई। सूत्रों का कहना है कि दोनों के मोबाइल फोन, इनके संपर्क वाले तमाम लोग और हमले से पहले कम से कम छह महीने तक की इनकी गतिविधियों और लोकेशन के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाएगी। फिर हमला होने के बाद की भी इनकी तमाम लोकेशन और फोन पर की गई बातचीत को डी-कोड किया जाएगा। इनसे काफी अहम सुराग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
आतंकियों पर घोषित है इनाम
मामले में खबर लिखे जाने तक एनआईए सूत्र भी यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि आतंकवादियों के दोनों ग्रुप अलग-अलग हैं या फिर एक ही हैं। हालांकि गिरफ्तार दोनों कश्मीरियों ने एनआईए को साफतौर पर बताया कि उनके पास जो रुके थे। वह तीन पाकिस्तानी थे और वह तीनों आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी थे। जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को बैसरन घाटी में 26 लोगों की हत्या करने वाले आतंकवादियों की पहचान के रूप में हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान, अली भाई उर्फ तलहा भाई और आदिल हुसैन ठोकर के नाम बताए थे। तीनों के उपर 20-20 लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है। इनमें से हाशिम और अली भाई को पाकिस्तानी नागरिक बताया था और आदिल को लोकल अनंतनाग का रहने वाला बताया गया था। तीनों को लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी बताए गए थे।
दो थ्योरी आ रही हैं सामने
लेकिन एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए इन दो कश्मीरियों ने तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी बताए हैं। ऐसे में सवाल यही है कि क्या जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बताए गए तीनों आतंकवादी हमले में शामिल थे या फिर एनआईए ने जो पाकिस्तान के तीन आतंकवादी बताए हैं। उन्होंने हमला किया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि दोनों ग्रुप वाले यह आतंकवादी हमले में शामिल हों। या फिर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बताए गए आतंकवादियों का इसमें कोई रोल ही ना हो। बहरहाल, इस बारे में एनआईए की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में मंगलवार को तस्वीर साफ होगी। इस बीच एनआईए ने जम्मू कोर्ट में दोनों आरोपियों को पेश किया। जहां से इनकी पांच दिन की रिमांड मिल गई। सूत्रों का कहना है कि दोनों के मोबाइल फोन, इनके संपर्क वाले तमाम लोग और हमले से पहले कम से कम छह महीने तक की इनकी गतिविधियों और लोकेशन के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाएगी। फिर हमला होने के बाद की भी इनकी तमाम लोकेशन और फोन पर की गई बातचीत को डी-कोड किया जाएगा। इनसे काफी अहम सुराग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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