क्योंकि इस दौरान जरा-सी भी लापरवाही हो गई, तो यह प्रक्रिया बच्चे के लिए तकलीफदेह हो सकती है। इसीलिए आइए पीडियाट्रिशन डॉक्टर निमिषा अरोड़ा से जानते हैं कि इस प्रक्रिया से जुड़ी सब डिटेल।
सभी तस्वीरें- सांकेतिक
सही उम्र जानना है बेहद जरूरी
डॉक्टर निमिषा अरोड़ा इंस्टाग्राम पर जारी किए गए एक वीडियो में कहती हैं कि छोटे बच्चे ईयर पियर्सिंग (कान छिदवाना) करवाने के बाद बेहद क्यूट लगते है, लेकिन इसके इसे कराने का सही समय और सावधानियां जानना हर माता-पिता के लिए बेहद जरूरी है।
छह महीने है सबसे सही एज

चाइल्ड स्पेशलिस्ट कहती हैं कि 6 महीने की उम्र के बाद बच्चे की इम्युनिटी और ईयरलोब की कार्टिलेज थोड़ी मजबूत हो जाती है, इसलिए यही समय कान छिदवाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
14 सप्ताह की वैक्सीनेशन पूरा होना है जरूरी

डॉक्टर आगे कहती हैं कि अगर आप धार्मिक या पारंपरिक कारणों से 6 महीने से पहले छिदवाना चाहते हैं, तो कम से माता-पिता को 14 सप्ताह यानी साढ़े 3 महीने तक का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका हो, तभी यह करवाएं।
बच्चे को नहीं होना चाहिए इंफेक्शन
डॉक्टर बताती हैं कि पैरेंट्स को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि जब बच्चे के कान छिदवाए जाएं, उस वक्त वह पूरी तरह से हेल्दी हो। बच्चे को किसी भी तरह का इंफेक्शन नहीं होना चाहिए।
किसे छिदवाने चाहिए कान ?
डॉक्टर निमिषा कहती हैं कि ट्रेंड मेडिकल प्रोफेशनल जैसे कि डॉक्टर या सर्टिफाइड नर्स से ही ईयर पियर्सिंग करवाना बेहतर होता है। अगर आप किसी ज्वैलर से करवाने का सोच रहे हैं, तो यह जरूर सुनिश्चित करें कि वे इस काम में प्रशिक्षित हों और प्रक्रिया पूरी तरह साफ-सुथरे और सुरक्षित ढंग से की जाए।
यहां देखिए पूरा वीडियो
ईयर पियर्सिंग कराते वक्त बरतें सावधानी

चाइल्ड स्पेशलिस्ट कहती हैं कि पियर्सिंग से करीब आधे घंटे पहले बच्चे के कानों पर नंबिंग क्रीम या फिर आइस पैक जरूर लगाएं, ताकि दर्द कम हो और बच्चा सहज महसूस करे।
सोने के ईयरिंग्स पहने

डॉक्टर अंत में सलाह देती है कि बच्चों को कान छिदवाने के बाद पहनाने के लिए सिर्फ सर्जिकल स्टील या गोल्ड (सोने) के ईयरिंग्स का ही इस्तेमाल करें। इन मेटल्स से एलर्जी या स्किन रिएक्शन का खतरा नहीं होता, इसलिए ये बच्चों की कोमल त्वचा के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
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