नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी बच्चों के लिए जानलेवा खतरा साबित हो रही है। आम लोगों को सड़क पर चलने से डर लगने लगा रहा है। रात में दोपहिया वाहन से निकलने पर लोगों को ये कुत्ते दौड़ा लेते हैं। दिल्ली में एक महीने में आवारा कुत्तों के बच्चों के काटने के कई मामले सामने आए हैं।
ताजा मामला सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन क्षेत्र का है। छह साल की एक बच्ची की आवारा कुत्ते के काटने से मौत हो गई है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची अपनी चाची से मिलने जा रही थी। रास्ते में ही आवारा कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया। उसके हाथ और पैर में कई जगह जख्म हुए। छवि को अंबेडकर अस्पताल में एंटी रेबीज ट्रीटमेंट का इलाज शुरू कराया गया। 28 जुलाई को एंटी रेबीज ट्रीटमेंट की दूसरी डोज लगनी थी। लेकिन 24 जुलाई को तेज बुखार आने के कारण अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने वायरल फ्लू बताकर वापस लौटा दिया।
बच्ची का हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, उसे पानी पीने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद उसे कलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर आइसोलेशन वार्ड न होने के कारण उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल और फिर सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद परिवार ने 25 जुलाई को प्रीतमपुरा के एक एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर अगले दिन छवि की मौत हो गई।
एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा
जिस कुत्ते के काटने से छवि की मौत हुई है, उसी कुत्ते के काटने से पीड़ित एक महिला ने बताया यह कुत्ता पिछले कई महीनों से लगातार यहां पर घूम रहा है, पैदल चलने वाले लोगों को काटता है और बाईकों के पीछे दौड़ने लगता है। हमने इस बारे में कंप्लेन भी की थी। वहीं छवि के परिवार ने सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन में एमसीडी के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
एक अन्य मामला दिल्ली के अलीपुरा इलाके का है, जहां 23 जुलाई को स्कूल से लौट रहे बच्चे पर कुत्तों ने हमला कर दिया है। बच्चे के चेहरे पर कई जख्म हुए है। वहीं आसपास खड़े लोगों ने कुत्तों को भगाया और बच्चे के इलाज में मदद की।
2016 के बाद नहीं हुई कुत्तों की जनगणना
एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 10 लाख के पार तक पहुंच गई है। एमसीडी ने 2016 के बाद से आवारा कुत्तों की पूरी जनगणना नहीं की है, जिससे सटीक योजना बनाना मुश्किल हो गई है। 2016 में हुई कुत्तों की जनगणना के अनुसार दक्षिण दिल्ली में आवासा कुत्तों की संख्या 1.89 लाख पाई गई थी, जिसमें से केवल 40 प्रतिशत कुत्तों की नसबंदी की गई थी।
मार्च 2023 में, वसंत कुंज में आवारा कुत्तों के एक झुंड ने 5 और 7 साल के दो भाइयों को कथित तौर पर 72 घंटों के भीतर मार डाला था - जो इस तरह के हमलों की बार-बार होने वाली प्रकृति को दर्शाता है।
2023 में 60 हजार मामले आए
एमसीडी के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में दिल्ली में कुत्तों के काटने के 60,000 से ज्यादा मामले सामने आएं हालांकि असल आंकड़ा काफी ज्यादा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया
मार्च 2024 में, उच्च न्यायालय ने पाया कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से उनका क्षेत्रीय व्यवहार बढ़ गया है, जिससे कुत्ते और भी आक्रामक हो गए हैं और पैदल चलने वालों पर हमला लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या को एक गंभीर मुद्दा बताया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि आवारा पशुओं को पूरी तरह से हटाना संभव नहीं है, फिर भी अधिकारियों को नसबंदी और सुरक्षित प्रबंधन के माध्यम से उनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
ताजा मामला सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन क्षेत्र का है। छह साल की एक बच्ची की आवारा कुत्ते के काटने से मौत हो गई है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची अपनी चाची से मिलने जा रही थी। रास्ते में ही आवारा कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया। उसके हाथ और पैर में कई जगह जख्म हुए। छवि को अंबेडकर अस्पताल में एंटी रेबीज ट्रीटमेंट का इलाज शुरू कराया गया। 28 जुलाई को एंटी रेबीज ट्रीटमेंट की दूसरी डोज लगनी थी। लेकिन 24 जुलाई को तेज बुखार आने के कारण अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने वायरल फ्लू बताकर वापस लौटा दिया।
बच्ची का हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, उसे पानी पीने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद उसे कलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर आइसोलेशन वार्ड न होने के कारण उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल और फिर सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद परिवार ने 25 जुलाई को प्रीतमपुरा के एक एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर अगले दिन छवि की मौत हो गई।
एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा
जिस कुत्ते के काटने से छवि की मौत हुई है, उसी कुत्ते के काटने से पीड़ित एक महिला ने बताया यह कुत्ता पिछले कई महीनों से लगातार यहां पर घूम रहा है, पैदल चलने वाले लोगों को काटता है और बाईकों के पीछे दौड़ने लगता है। हमने इस बारे में कंप्लेन भी की थी। वहीं छवि के परिवार ने सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन में एमसीडी के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
एक अन्य मामला दिल्ली के अलीपुरा इलाके का है, जहां 23 जुलाई को स्कूल से लौट रहे बच्चे पर कुत्तों ने हमला कर दिया है। बच्चे के चेहरे पर कई जख्म हुए है। वहीं आसपास खड़े लोगों ने कुत्तों को भगाया और बच्चे के इलाज में मदद की।
2016 के बाद नहीं हुई कुत्तों की जनगणना
एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 10 लाख के पार तक पहुंच गई है। एमसीडी ने 2016 के बाद से आवारा कुत्तों की पूरी जनगणना नहीं की है, जिससे सटीक योजना बनाना मुश्किल हो गई है। 2016 में हुई कुत्तों की जनगणना के अनुसार दक्षिण दिल्ली में आवासा कुत्तों की संख्या 1.89 लाख पाई गई थी, जिसमें से केवल 40 प्रतिशत कुत्तों की नसबंदी की गई थी।
मार्च 2023 में, वसंत कुंज में आवारा कुत्तों के एक झुंड ने 5 और 7 साल के दो भाइयों को कथित तौर पर 72 घंटों के भीतर मार डाला था - जो इस तरह के हमलों की बार-बार होने वाली प्रकृति को दर्शाता है।
2023 में 60 हजार मामले आए
एमसीडी के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में दिल्ली में कुत्तों के काटने के 60,000 से ज्यादा मामले सामने आएं हालांकि असल आंकड़ा काफी ज्यादा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया
मार्च 2024 में, उच्च न्यायालय ने पाया कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से उनका क्षेत्रीय व्यवहार बढ़ गया है, जिससे कुत्ते और भी आक्रामक हो गए हैं और पैदल चलने वालों पर हमला लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या को एक गंभीर मुद्दा बताया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि आवारा पशुओं को पूरी तरह से हटाना संभव नहीं है, फिर भी अधिकारियों को नसबंदी और सुरक्षित प्रबंधन के माध्यम से उनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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