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आईआईटी दिल्ली ने रच दिया इतिहास, DRDO के साथ मिलकर किया ऐसा काम, जिससे हैकर्स के छूट जाएंगे पसीने

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सोचिए, कोई ऐसा मेसेज सिस्टम हो जिसे कोई हैक ही न कर सके। न कोई बीच में झांक पाए, न कोई चुरा पाए। ऐसा अब वाकई में संभव है। IIT दिल्ली ने पहली बार बिना किसी वायर या केबल के 1 किलोमीटर दूर तक क्वांटम टेक्नोलॉजी से सिक्योर मेसेज भेजने में सफलता पाई है। खास बात यह है कि यह सिस्टम ऐसा है कि अगर कोई इसे छेड़ने की कोशिश करे, तो वो तुरंत अलर्ट हो जाता है और मेसेज को ही बदल देता है- यानी 100% हैक-प्रूफ कम्युनिकेशन!



यह एक्सपेरिमेंट IIT दिल्ली और डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने मिलकर किया। प्रोजेक्ट का नाम था 'सेक्योर क्वांटम कम्युनिकेशन', जिसे DRDO के फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट के तहत प्रफेसर भास्कर कंसेरी और उनकी टीम ने लीड किया।



क्या है क्वांटम कम्युनिकेशन?मान लीजिए आप किसी को कोई सीक्रेट मेसेज भेजना चाहते हैं। आज जो मेसेजिंग सिस्टम है, उसमें हैकर बीच में घुस सकते हैं। लेकिन क्वांटम कम्युनिकेशन में मेसेज फोटॉन यानी रोशनी के बेहद छोटे कणों के जरिए भेजा जाता है। इन फोटॉन्स को ‘क्वांटम एंटैंगलमेंट’ नाम की जादुई टेक्निक से जोड़ दिया जाता है। ये इतने जुड़ जाते हैं कि अगर एक में कुछ बदलाव हो, तो दूसरा खुद-ब-खुद वैसा ही बन जाता है। और जैसे ही कोई बीच में मेसेज चुराने की कोशिश करता है, सिस्टम को पता चल जाता है। कोई छिपा नहीं रह सकता!



ग्लोबल लीडर बन सकता है देशदिल्ली जैसे शहर में यह टेस्ट करना आसान नहीं था, क्योंकि यहां एयर पल्यूशन और गर्मी के कारण हवा की चाल में बार-बार बदलाव होता है। हवा की थोड़ी सी भी हलचल सिस्टम की अलाइनमेंट बिगाड़ सकती है। इसके बावजूद IIT और DRDO की टीम ने 1 किलोमीटर की दूरी तक टेस्ट सफल किया। 2023 में ISRO ने 300 मीटर की दूरी तक यह टेस्ट किया था। IIT दिल्ली का नया टेस्ट 1 किलोमीटर तक सफल रहा।



अभी यह तकनीक रिसर्च और टेस्ट के फेज में है। जैसे-जैसे ऐसे सफल प्रयोग होंगे, भारत फाइबर-फ्री क्वांटम कम्युनिकेशन में ग्लोबल लीडर बन सकता है। इससे बैंकिंग, रक्षा, डेटा सिक्योरिटी और हेल्थ जैसे सेक्टरों में क्रांति आ सकती है।



इसकी जरूरत क्यों? साइबर हमलों से बचाव: आजकल बैंकिंग, रक्षा और सरकारी सिस्टम को हैक करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। ऐसे में एक ऐसा सिस्टम चाहिए जो 100% सिक्योर हो।



भविष्य के लिए तैयारी: जैसे-जैसे क्वांटम कंप्यूटर आ रहे हैं, पुराने सिक्योरिटी सिस्टम कमजोर पड़ सकते हैं। क्वांटम कम्युनिकेशन अगली पीढ़ी का सिक्योर सिस्टम है।



कैसे काम करता है? मौजूदा सिस्टम: मेसेज को कोड में बदला जाता है, जिसे डिजिटल केबल या फाइबर के जरिए भेजा जाता है। इसे हैक किया जा सकता है।



क्वांटम सिस्टम: क्वांटम कणों को दो जगह एकसाथ जोड़कर मेसेज भेजा जाता है। कोई हैकर बीच में मेसेज पढ़ने की कोशिश करता है तो पूरा सिस्टम अलर्ट हो जाता है और मेसेज खुद को बदल देता है। मतलब- पूरी तरह सिक्योर।

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