पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ नये दल भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम है द प्लूरल्स पार्टी (टीपीपी)। इस पार्टी की संस्थापक हैं पुष्पम प्रिया चौधरी। मुकेश सहनी के पूर्व सहयोगी प्रदीप निषाद ने बनायी है विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी) । कांग्रेस के पूर्व नेता इंद्रदीप प्रसाद गुप्ता (आइपी गुप्ता) इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) बना कर चुनाव मैदान में हैं। राजद से निष्कासित तेज प्रताप यादव    जनशक्ति जनता दल का गठन कर चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की तीन पार्टियां भी बिहार में चुनाव लड़ रही हैं। ये हैं ‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ ‘अपनी जनता पार्टी’।   
   
पुष्पम प्रिया चौधरी की ‘द प्लूरल्स पार्टी’ (टीपीपी)
2020 के चुनाव में चर्चित हुई पुष्पम प्रिया चौधरी इस बार दरभंगा से चुनाव लड़ रही हैं। उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आधी सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़ी हैं। 2020 में पुष्पम ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। मधुबनी की बिस्फी और पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट पर बड़े जोर-शोर से उन्होंने चुनौती पेश की थी। लेकिन दोनों सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था। बांकीपुर सीट पर उन्हें 5189 वोट मिले थे। बिस्फी सीट पर इससे भी कम, 1521 वोट ही मिले थे। पिछले चुनाव में उन्होंने खुद को अपनी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित कर चुनाव लड़ा था।
     
148 सीटों पर करारी हार
उस समय ‘द प्लूरल्स पार्टी’ को एक पार्टी से अधिक कॉरपोरेट कंपनी माना गया था। सोशल मीडिया पर पुष्पम और उनकी पार्टी छायी हुई थी। लेकिन 148 में से कोई उम्मीदवार को 6 हजार वोट का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाया। 2020 के विधानसभा चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी की पार्टी ‘द प्लूरल्स पार्टी’ एक तूफान की तरह आयी थी और आंधी की तरह गायब हो गयी थी। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ी और इंग्लैंड में नौकरी करने वाली पुष्पम बिहार की राजनीति को बदलने के लिए सक्रिय हैं।
   
तेज प्रताप का जनशक्ति जनता दल (जेजेपी)
राजद से निष्कासन के बाद तेज प्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल के नाम से नयी पार्टी बनायी है। नयी पार्टी के साथ पूरे दमखम से चुनाव मैदान में उतरे हैं। वे खुद महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पार्टी कुल 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उन्होंने राघोपुर में तेजस्वी के खिलाफ प्रेम कुमार को मैदान में उतारा है। तेज प्रताप यादव ने अब अपने छोटे भाई तेजस्वी पर जवाबी हमला शुरू कर दिया है। सोमवार को तेजप्रताप ने तेजस्वी के चुनाव क्षेत्र में अपने दल के प्रत्याशी प्रेम कुमार के लिए चुनावी सभा की। उन्होंने अपनी पार्टी को ही लालू जी की असली पार्टी बताया।
   
प्रदीप निषाद की विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी)
मुकेश सहनी के पूर्व सहयोगी प्रदीप निषाद ने विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी) बनायी है। यह नाम मुकेश सहनी की पार्टी VIP से मिलता जुलता है। इस चुनाव में प्रदीप निषाद की पार्टी (वीवीआईपी) ने तेज प्रताप यादव की पार्टी, जनशक्ति जनता दल के साथ चुनावी गठबंधन किया है। प्रदीप निषाद ने मुकेश सहनी पर निषाद समाज को ठगने का आरोप लगाया है। प्रदीप का आरोप है कि मुकेश सहनी मुम्बई में अपनी टाइटल (सरनेम) छिपा कर रहते हैं। मायानगरी में उन्हें खुद को निषाद बताने में शर्म आती है। प्रमोद के मुताबिक, मुकेश सहनी चुनाव के समय इसलिए अधिक से अधिक सीटें लेना चाहते हें ताकि टिकट बेच सके। प्रमोद उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले हैं। 2017 से 2021 कर मुकेश सहनी के साथ निषाद समाज की राजनीति कर रहे थे। अब 2025 के बिहार चुनाव में उनके लड़ने से निषाद मतों में बंटवारा हो सकता है।
   
आइपी गुप्ता की इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी)
इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता (आइपी गुप्ता) पहले कांग्रेस के नेता थे। बाद में वे कांग्रेस से अलग हो गये। 2023 में उन्होंने इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) बनायी। आइपी गुप्ता को पान, तांती, ततवा जाति समूहों का सबसे बड़ा नेता मान जाता है। 2023 के बिहार जातीय सर्वे के मुताबिक पान जाति समूह की आबादी करीब 22 लाख (कुल जनसंख्या का 2 फीसदी) है। पारंपरिक रूप से यह समाज बुनकर के रूप में जाना जाता रहा है। चुनावी राजनीति में इतने बड़े जातीय समूह का नेता होना बहुत अहमियत रखता है। अप्रैल के बाद बिहार की राजनीति में आइपी गुप्ता की धमक बढ़ गयी। सिर्फ छह महीने में ही उनकी हैसियत ऐसी हो गयी कि वे तेजस्वी यादव से सीटों की तोल-मोल की स्थिति में पहुंच गये। महागठबंधन में उन्हें तीन सीटें मिली हैं। वे सहरसा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। IIP के दो अन्य उम्मीदवार जमालपुर और बेलदौर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
   
‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ और ‘अपनी जनता पार्टी’
‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ और ‘अपनी जनता पार्टी’ ने बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया है। उत्तर प्रदेश में सक्रिय ‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ के नेता हैं जौहर आजाद। ये पार्टी दलित आधार वाली 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ‘अपनी जनता पार्टी’ के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं। उत्तर प्रदेश में कुशवाहा जाति के नेता हैं। इनकी पार्टी बिहार में चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
  
पुष्पम प्रिया चौधरी की ‘द प्लूरल्स पार्टी’ (टीपीपी)
2020 के चुनाव में चर्चित हुई पुष्पम प्रिया चौधरी इस बार दरभंगा से चुनाव लड़ रही हैं। उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आधी सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़ी हैं। 2020 में पुष्पम ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। मधुबनी की बिस्फी और पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट पर बड़े जोर-शोर से उन्होंने चुनौती पेश की थी। लेकिन दोनों सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था। बांकीपुर सीट पर उन्हें 5189 वोट मिले थे। बिस्फी सीट पर इससे भी कम, 1521 वोट ही मिले थे। पिछले चुनाव में उन्होंने खुद को अपनी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित कर चुनाव लड़ा था।
148 सीटों पर करारी हार
उस समय ‘द प्लूरल्स पार्टी’ को एक पार्टी से अधिक कॉरपोरेट कंपनी माना गया था। सोशल मीडिया पर पुष्पम और उनकी पार्टी छायी हुई थी। लेकिन 148 में से कोई उम्मीदवार को 6 हजार वोट का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाया। 2020 के विधानसभा चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी की पार्टी ‘द प्लूरल्स पार्टी’ एक तूफान की तरह आयी थी और आंधी की तरह गायब हो गयी थी। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ी और इंग्लैंड में नौकरी करने वाली पुष्पम बिहार की राजनीति को बदलने के लिए सक्रिय हैं।
तेज प्रताप का जनशक्ति जनता दल (जेजेपी)
राजद से निष्कासन के बाद तेज प्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल के नाम से नयी पार्टी बनायी है। नयी पार्टी के साथ पूरे दमखम से चुनाव मैदान में उतरे हैं। वे खुद महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पार्टी कुल 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उन्होंने राघोपुर में तेजस्वी के खिलाफ प्रेम कुमार को मैदान में उतारा है। तेज प्रताप यादव ने अब अपने छोटे भाई तेजस्वी पर जवाबी हमला शुरू कर दिया है। सोमवार को तेजप्रताप ने तेजस्वी के चुनाव क्षेत्र में अपने दल के प्रत्याशी प्रेम कुमार के लिए चुनावी सभा की। उन्होंने अपनी पार्टी को ही लालू जी की असली पार्टी बताया।
प्रदीप निषाद की विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी)
मुकेश सहनी के पूर्व सहयोगी प्रदीप निषाद ने विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी) बनायी है। यह नाम मुकेश सहनी की पार्टी VIP से मिलता जुलता है। इस चुनाव में प्रदीप निषाद की पार्टी (वीवीआईपी) ने तेज प्रताप यादव की पार्टी, जनशक्ति जनता दल के साथ चुनावी गठबंधन किया है। प्रदीप निषाद ने मुकेश सहनी पर निषाद समाज को ठगने का आरोप लगाया है। प्रदीप का आरोप है कि मुकेश सहनी मुम्बई में अपनी टाइटल (सरनेम) छिपा कर रहते हैं। मायानगरी में उन्हें खुद को निषाद बताने में शर्म आती है। प्रमोद के मुताबिक, मुकेश सहनी चुनाव के समय इसलिए अधिक से अधिक सीटें लेना चाहते हें ताकि टिकट बेच सके। प्रमोद उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले हैं। 2017 से 2021 कर मुकेश सहनी के साथ निषाद समाज की राजनीति कर रहे थे। अब 2025 के बिहार चुनाव में उनके लड़ने से निषाद मतों में बंटवारा हो सकता है।
आइपी गुप्ता की इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी)
इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता (आइपी गुप्ता) पहले कांग्रेस के नेता थे। बाद में वे कांग्रेस से अलग हो गये। 2023 में उन्होंने इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) बनायी। आइपी गुप्ता को पान, तांती, ततवा जाति समूहों का सबसे बड़ा नेता मान जाता है। 2023 के बिहार जातीय सर्वे के मुताबिक पान जाति समूह की आबादी करीब 22 लाख (कुल जनसंख्या का 2 फीसदी) है। पारंपरिक रूप से यह समाज बुनकर के रूप में जाना जाता रहा है। चुनावी राजनीति में इतने बड़े जातीय समूह का नेता होना बहुत अहमियत रखता है। अप्रैल के बाद बिहार की राजनीति में आइपी गुप्ता की धमक बढ़ गयी। सिर्फ छह महीने में ही उनकी हैसियत ऐसी हो गयी कि वे तेजस्वी यादव से सीटों की तोल-मोल की स्थिति में पहुंच गये। महागठबंधन में उन्हें तीन सीटें मिली हैं। वे सहरसा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। IIP के दो अन्य उम्मीदवार जमालपुर और बेलदौर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ और ‘अपनी जनता पार्टी’
‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ और ‘अपनी जनता पार्टी’ ने बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया है। उत्तर प्रदेश में सक्रिय ‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ के नेता हैं जौहर आजाद। ये पार्टी दलित आधार वाली 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ‘अपनी जनता पार्टी’ के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं। उत्तर प्रदेश में कुशवाहा जाति के नेता हैं। इनकी पार्टी बिहार में चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
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