नई दिल्ली: कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केस की सुनवाई राज्य के बाहर ट्रांसफर करने के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता वकील की मौखिक अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हां, हमने मणिपुर में हिंसा के मामलों को ट्रांसफर कर दिया है। लेकिन हम यहां ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। पीठ में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर अस्पताल मामले में सुनवाईसर्वोच्च अदालत ने सीबीआई की ओर से दायर छठवीं स्टेटस रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि वह कोई भी टिप्पणी करने से परहेज करेगी क्योंकि जांच चल रही है। पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि मामले में एकमात्र मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय होने के बाद 11 नवंबर से कोलकाता की एक विशेष अदालत में मुकदमा शुरू होगा। इस साल 9 अगस्त की सुबह कोलकाता के आर.जी. कर परिसर में एक सेमिनार हॉल से महिला डॉक्टर का शव मिला था। इसके ठीक 87 दिन बाद 4 नवंबर को आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरी हुई। केस राज्य के बाहर ट्रांसफर से इनकारकरीब एक महीने पहले, सीबीआई ने मामले में कोलकाता पुलिस के सिविक स्वयंसेवक रॉय के खिलाफ अपना पहला आरोप पत्र दायर किया था। आरोप पत्र में, सीबीआई ने इस जघन्य अपराध के पीछे एक बड़ी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया। आरोप है कि कोलकाता पुलिस की जांच के शुरुआती फेज में सबूतों से छेड़छाड़ की गई और उन्हें बदला गया। रॉय के अलावा, इस मामले में सीबीआई अधिकारियों की ओर से गिरफ्तार किए गए दो अन्य लोग मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाना के पूर्व एसएचओ अभिजीत मंडल हैं। सर्वोच्च कोर्ट ने क्या कहामेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाना के पूर्व एसएचओ अभिजीत मंडल के खिलाफ मुख्य आरोप शुरुआत में पुलिस जांच को गुमराह करने और सबूतों से छेड़छाड़ का है। हालांकि बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दिया था। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को अगली लिस्टिंग की तारीख से पहले एक नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। इसके अलावा, इसने आदेश दिया कि आर.जी. कर घटना के बाद केंद्र सरकार की ओर से गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) की तैयार की गई रिपोर्ट सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और डॉक्टरों के संघों सहित अन्य स्टेकहोल्डर्स को उपलब्ध कराई जाए। अगली सुनवाई को लेकर कोर्ट का ये निर्देशसीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एनटीएफ ने दो श्रेणियों में सिफारिशें तैयार की हैं। पहली, मेडिकल प्रोफेशनल्स के खिलाफ हिंसा की रोकथाम और सुरक्षित हालात प्रदान करने के लिए और दूसरी, डॉक्टरों के खिलाफ यौन हिंसा की रोकथाम के लिए है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कोई राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सिफारिशों के संबंध में कोई प्रेजेंटेशन करना चाहता है, तो इसका एक शॉर्ट नोट तीन हफ्ते की अवधि के भीतर स्थायी वकील के माध्यम से कोर्ट मास्टर को दायर किया जा सकता है। पिछले महीने हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि एनटीएफ को अपना काम उचित समय-सीमा के भीतर पूरा करना चाहिए।
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