नई दिल्ली : संसद में आज से ऑपरेशन सिंदूर पर कुल 32 घंटे चर्चा होगी। चर्चा तीखी और टकरावपूर्ण होने की उम्मीद है। इसमें जहां, विपक्ष स्पष्ट जवाब चाहेगा, वहीं सरकार 2019 में पाकिस्तान में बालाकोट हवाई हमलों के बाद की तरह कांग्रेस के राष्ट्रवाद पर सवाल उठाकर पलटवार करने की कोशिश करेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करेंगे।
विपक्ष की मंशा साफ है क्योंकि कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी चर्चा की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा में शामिल होकर बोल सकते हैं, जो विपक्ष की एक प्रमुख मांग है। विपक्ष के बोलने के दौरान प्रधानमंत्री की उपस्थिति भी जरूरी मानी जा रही है।
पीएम को लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री के भाषण के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले सप्ताह कहा था कि विपक्ष यह तय नहीं कर सकता कि प्रधानमंत्री बोलेंगे या नहीं। रिजिजू ने कहा कि यह वैसा ही है जैसे सरकार यह तय नहीं कर सकती कि विपक्ष के वक्ता कौन होंगे।
लेकिन यह चर्चा प्रधानमंत्री के विदेश से लौटने के बाद ही हो रही है। यह दिखाता है कि बीजेपी विपक्ष पर अपना सबसे बड़ा हथियार चलाना चाहेगी। इसकी वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री की पहल है।
युद्धविराम पर डोनाल्ड ट्रंप के दावे
चर्चा के दौरान सबसे विस्फोटक मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रहने की उम्मीद है। ट्रंप ने लगभग 25 बार दोहराया है कि उन्होंने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने के लिए व्यापार को एक प्रलोभन के रूप में इस्तेमाल किया। राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी, दोनों ही पिछले महीने ट्रंप के साथ मोदी की 35 मिनट लंबी फोन पर बातचीत का हवाला देते हुए इसका खंडन कर सकते हैं। इसमें मोदी ने ट्रंप से कुछ स्पष्ट बातें कीं और उन्हें बताया कि अमेरिका ने युद्धविराम में मध्यस्थता नहीं की।
विपक्ष की मंशा साफ है क्योंकि कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी चर्चा की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा में शामिल होकर बोल सकते हैं, जो विपक्ष की एक प्रमुख मांग है। विपक्ष के बोलने के दौरान प्रधानमंत्री की उपस्थिति भी जरूरी मानी जा रही है।
पीएम को लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री के भाषण के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले सप्ताह कहा था कि विपक्ष यह तय नहीं कर सकता कि प्रधानमंत्री बोलेंगे या नहीं। रिजिजू ने कहा कि यह वैसा ही है जैसे सरकार यह तय नहीं कर सकती कि विपक्ष के वक्ता कौन होंगे।
लेकिन यह चर्चा प्रधानमंत्री के विदेश से लौटने के बाद ही हो रही है। यह दिखाता है कि बीजेपी विपक्ष पर अपना सबसे बड़ा हथियार चलाना चाहेगी। इसकी वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री की पहल है।
युद्धविराम पर डोनाल्ड ट्रंप के दावे
चर्चा के दौरान सबसे विस्फोटक मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रहने की उम्मीद है। ट्रंप ने लगभग 25 बार दोहराया है कि उन्होंने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने के लिए व्यापार को एक प्रलोभन के रूप में इस्तेमाल किया। राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी, दोनों ही पिछले महीने ट्रंप के साथ मोदी की 35 मिनट लंबी फोन पर बातचीत का हवाला देते हुए इसका खंडन कर सकते हैं। इसमें मोदी ने ट्रंप से कुछ स्पष्ट बातें कीं और उन्हें बताया कि अमेरिका ने युद्धविराम में मध्यस्थता नहीं की।
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