TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी) और DoT (डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस) ने फैसला किया है कि फोन कॉल आने पर कॉलर का असली नाम खुद-ब-खुद दिखेगा। यह सुविधा सबके लिए डिफॉल्ट रहेगी। ऐसा होने पर स्कैम और स्पैम कॉल आप पहले ही पहचान सकेंगे। इस फैसले का मकसद धोखाधड़ी रोकना और डिजिटल सुरक्षा बढ़ाना है। यह सेवा 4G और उससे नई तकनीक वाले नेटवर्क पर शुरू होगी। इससे लोगों को फर्जी कॉल से बचाने में मदद मिलेगी। 2G और 3G पर बैंडविड्थ कम होने से तकनीकी दिक्कत है। इसलिए इन नेटवर्क का इस्तेमाल करने वालों को कॉलर का असली नाम नहीं नजर आएगा।
जो नाम कनेक्शन लेते हुए दिया, वही दिखेगापीटीआई की रिपोर्ट बताती है कि TRAI और DoT ने कहा कि कॉल आने पर कॉलर का असली नाम, जो कनेक्शन लेते समय दिया गया था, वह डिफॉल्ट में दिखेगा। हालांकि, पहले ट्राई ने सुझाव दिया था कि यह सेवा सिर्फ मांगने पर चालू होनी चाहिए। लेकिन DoT इस बात से सहमत नहीं था। इसके बाद दोनों की एकराय बनी और फैसला लिया गया।
TRAI और DoT में बनी सहमतिदरअसल, फरवरी 2024 में TRAI ने डोटी को सिफारिश भेजी थी। उसमें कहा गया था कि कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन यानी CNP सर्विस सिर्फ कॉल पाने वाले की मांग पर चालू हो। DoT ने इसे वापस भेजकर कहा कि सेवा डिफॉल्ट में चालू रहे। अगर कोई नहीं चाहता तो वह बंद करने की प्रोसेस अपनाए। इससे साइबर क्राइम जैसे डिजिटल अरेस्ट और पैसे की ठगी कम होगी।
इनका नाम नहीं दिखेगाTRAI और DoT ने तय किया कि जिन लोगों ने कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन रेस्ट्रिक्शन यानी CLIR सुविधा ली है, उनका नाम नहीं दिखेगा। यह सुविधा आम लोगों, खुफिया एजेंसियों के अफसरों और बड़े लोगों को मिलती है। आम लोगों के लिए ऑपरेटर अच्छी जांच करेंगे और कानून वाले एजेंसियों को जानकारी दे सकेंगे। बल्क कनेक्शन, कॉल सेंटर और टेलीमार्केटर को यह सुविधा नहीं मिलेगी। इससे प्राइवेसी बनी रहेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय से बात होगीDoT अब CNP सर्विस के फ्रेमवर्क पर अंतिम फैसला लेगा। यह डिफॉल्ट में कैसे लागू होगा, यह तय करेगा। फोन में सपोर्ट के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय से बात होगी। सरकार जल्दी निर्देश जारी करेगी। इससे टेलीकॉम कंपनियां तैयारी करेंगी। लोगों को फर्जी कॉल से राहत मिलेगी और सुरक्षा बढ़ेगी। यह कदम साइबर अपराध रोकने में बड़ा मददगार साबित होगा।
जो नाम कनेक्शन लेते हुए दिया, वही दिखेगापीटीआई की रिपोर्ट बताती है कि TRAI और DoT ने कहा कि कॉल आने पर कॉलर का असली नाम, जो कनेक्शन लेते समय दिया गया था, वह डिफॉल्ट में दिखेगा। हालांकि, पहले ट्राई ने सुझाव दिया था कि यह सेवा सिर्फ मांगने पर चालू होनी चाहिए। लेकिन DoT इस बात से सहमत नहीं था। इसके बाद दोनों की एकराय बनी और फैसला लिया गया।
TRAI और DoT में बनी सहमतिदरअसल, फरवरी 2024 में TRAI ने डोटी को सिफारिश भेजी थी। उसमें कहा गया था कि कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन यानी CNP सर्विस सिर्फ कॉल पाने वाले की मांग पर चालू हो। DoT ने इसे वापस भेजकर कहा कि सेवा डिफॉल्ट में चालू रहे। अगर कोई नहीं चाहता तो वह बंद करने की प्रोसेस अपनाए। इससे साइबर क्राइम जैसे डिजिटल अरेस्ट और पैसे की ठगी कम होगी।
इनका नाम नहीं दिखेगाTRAI और DoT ने तय किया कि जिन लोगों ने कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन रेस्ट्रिक्शन यानी CLIR सुविधा ली है, उनका नाम नहीं दिखेगा। यह सुविधा आम लोगों, खुफिया एजेंसियों के अफसरों और बड़े लोगों को मिलती है। आम लोगों के लिए ऑपरेटर अच्छी जांच करेंगे और कानून वाले एजेंसियों को जानकारी दे सकेंगे। बल्क कनेक्शन, कॉल सेंटर और टेलीमार्केटर को यह सुविधा नहीं मिलेगी। इससे प्राइवेसी बनी रहेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय से बात होगीDoT अब CNP सर्विस के फ्रेमवर्क पर अंतिम फैसला लेगा। यह डिफॉल्ट में कैसे लागू होगा, यह तय करेगा। फोन में सपोर्ट के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय से बात होगी। सरकार जल्दी निर्देश जारी करेगी। इससे टेलीकॉम कंपनियां तैयारी करेंगी। लोगों को फर्जी कॉल से राहत मिलेगी और सुरक्षा बढ़ेगी। यह कदम साइबर अपराध रोकने में बड़ा मददगार साबित होगा।
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