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डकैती या लूट के बाद पीड़ित को वापस कैसे मिलता है माल? Step to Step जानिए क्या है पूरा प्रॉसेस

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अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में बीते दिनों भरत जी ज्वैलर्स की दुकान से दिनदहाड़े हथियार से लैस बदमाशों ने डकैती डाली थी। करीब 1.37 करोड़ की दिनदहाड़े पड़ी इस डैकती से सुल्तानपुर से लेकर लखनऊ तक हंड़कंप मच गया था। वहीं इस मामले में एसटीएफ और पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए ना केवल आरोपियों को गिरफ्तार किया या मुठभेड़ में मार गिराया है। बल्कि बड़ी मात्रा में सामान की रिकवरी भी की है। शत-प्रतिशत माल की बरामदी का दावा किया जा रहा है। वहीं इस घटना के बाद से लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि डकैती या लूट में गया सामान पीड़ित को वापस कैसे मिलता है। तो हम इस खबर के जरिये आपको स्टेप टू स्टेप बताएंगे कि आरोपियों से रिकवरी होने के बाद पीड़ित को उसके सामान मिलने का क्या प्रोसेस होता है।एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लूट या डकैती में 5 से कम या उससे ज्यादा अज्ञात लोग किसी मकान, दुकान या गोदाम से कोई सामान, रुपया-पैसा या सोना-चांदी को लेकर फरार हो जाते हैं। (5 या उससे ज्यादा लोग शामिल होने पर डकैती कहा जाता है जबकि 5 से कम लोग घटना में शामिल होने पर लूट कही जाती है) वहीं इस मामले को लेकर पीड़ित की तहरीर के आधार पर स्थानीय थाने में मुकदमा लिखा जाता है। इस मामले की छानबीन कर पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी कर उनके पास से लुटे गए माल को बरामद करती है। इस बरामद माल पर मुहर लगाकर सील कर दिया जाता है और तब उस बरामद माल को पुलिस कोर्ट में पेश करती है। तब न्यायालय उसे सीन करता है। साथ ही रिकवरी के मुताबिक उसमें धारा बढ़ाकर उसका रिमांड लिया जाता है। पीड़ित को पहले ही जानकारी दे दी जाती है क्योंकि वादी मुकदमा को जानकारी लेने का राइट होता है। इसको लेकर पुलिस की ओर से पीड़ित को बताया जाता है कि आपकी शिकायत के आधार पर इस मामले में इन लुटेरों को पकड़ा गया है। इसके साथ वादी को आरोपियों के पास से बरामद किए गए सामान की भी जानकारी दी जाती है। वादी को बताया जाता है कि सामान को पाने के लिए आप कोर्ट में अप्रोच कर सकते हैं। तब जाकर पीड़ित कोर्ट में अपने मुकदमे की लिखित जानकारी देता है। पीड़ित कोर्ट को बताता है कि इस मामले में हमने इस तारीख को मुकदमा लिखाया था और इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से बरामद हुआ सामान हमारा है। वादी कोर्ट से अनुरोध करता है कि इस प्रॉपर्टी को मेरे पक्ष में अवमुक्त करने का कष्ट किया जाए। पीड़ित के कोर्ट में अनुरोध लगाने के बाद न्यायालय थाने से आख्या मांगता है। तब थाने की पुलिस कोर्ट को इस मामले में दर्ज मुकदमे की जानकारी देते हुए बताता है कि वादी के तहत दी गई तहरीर के आधार पर इन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मुकदमें में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से यह माल बरामद हुआ है। ये बरामद सामान पीड़ित का है। इस सामान को अवमुक्त किये जाने में थाना पुलिस को कोई आपत्ति नहीं है। इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट से एक रिलीज आर्डर जारी होता है। अगर ऐसा लगता है कि बाद में इसे कोर्ट में प्रस्तुत करने की जरूरत पड़ सकती है तो सामान को बेचने, बैन करने और छुपाने पर पाबंदी लगा दिया जाता है। साथ ही कहा जाता है कि जब कोर्ट कहे तो इसको लेकर आना होगा। ऐसा कहते हुए पीड़ित के पक्ष में अवमुक्त किया जाता है। इस आदेश के अनुपालन में जीडी में तस्करा डाल कर पुलिस वादी को सामान दे देती है। वादी को सामान मिलने में करीब हफ्ते भर का समय लग जाता है। वादी किस तरह से कोर्ट में अपना पक्ष रखता है, इस पर पर भी कोर्ट से आर्डर जारी होना निर्भर करता है।बता दें, इस घटना को अंजाम देने के लिए 5 बदमाश असलहा लहराते हुए दुकान में घुस गए थे। बदमाश कुछ ही देर में ज्वैलरी शॉप में रखे सोने, चांदी के जेवरात और नगदी बैग में भरकर फरार हो गए थे। जिसकी कीमत 1.37 करोड़ रुपये के करीब बताई गई थी। फिलहाल एसटीएफ और पुलिस ने इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार या मुठभेड़ में ढेर कर बड़ी मात्रा में डकैती में गए सामान को बरामद किया है। वहीं विपक्ष ने इस घटना को लेकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। एसटीएफ की कार्रवाई में एक लाख के इनामी मंगेश यादव ढेर हुआ जबकि कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि विनीत सिंह ने कोर्ट में सरेंडर किया था। हाल ही में इस घटना में शामिल अजय यादव का हाफ एनकाउंटर हुआ है। इस मामले में शत-प्रतिशत माल बरामद होने का दावा किया जा रहा है।
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