नई दिल्ली: उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई ने बुधवार को कहा कि 50 लाख रुपये तक सालाना इनकम वाले   टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स रेट्स में खासी कटौती की जानी चाहिए। 30 प्रतिशत का उच्चतम टैक्स स्लैब केवल उनसे अधिक आय वालों पर ही लागू होना चाहिए। वर्तमान में नई कर व्यवस्था के तहत 24 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है।   
   
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने आगामी केंद्रीय बजट को लेकर भेजे अपने सुझावों में कहा है कि व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती करने से कर अनुपालन और कर-आधार दोनों बढ़ेंगे। उसने सुझाव दिया है कि 30 लाख रुपये तक की आय पर अधिकतम कर दर 20 प्रतिशत, 30 से 50 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत और 50 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत रखी जानी चाहिए। इससे न केवल मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी बल्कि राजस्व प्रवाह में भी स्थिरता आएगी।
   
      
कॉरपोरेट टैक्स
उद्योग मंडल ने कहा कि कॉरपोरेट कर दर 35% से घटाकर 25% करने के बावजूद कर संग्रह में वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 में यह 6.63 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 8.87 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह दर्शाता है कि कर दरों में नरमी से अनुपालन और राजस्व दोनों में सुधार होता है। पीएचडी चैंबर ने यह भी सिफारिश की है कि नई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को आकर्षित करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115बीएबी के तहत 15% की रियायती कॉरपोरेट कर दर फिर से लागू की जानी चाहिए। इससे विदेशी निवेश, रोजगार सृजन तथा निर्माण क्षेत्र के विस्तार को बल मिल सकता है।
  
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने आगामी केंद्रीय बजट को लेकर भेजे अपने सुझावों में कहा है कि व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती करने से कर अनुपालन और कर-आधार दोनों बढ़ेंगे। उसने सुझाव दिया है कि 30 लाख रुपये तक की आय पर अधिकतम कर दर 20 प्रतिशत, 30 से 50 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत और 50 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत रखी जानी चाहिए। इससे न केवल मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी बल्कि राजस्व प्रवाह में भी स्थिरता आएगी।
कॉरपोरेट टैक्स
उद्योग मंडल ने कहा कि कॉरपोरेट कर दर 35% से घटाकर 25% करने के बावजूद कर संग्रह में वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 में यह 6.63 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 8.87 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह दर्शाता है कि कर दरों में नरमी से अनुपालन और राजस्व दोनों में सुधार होता है। पीएचडी चैंबर ने यह भी सिफारिश की है कि नई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को आकर्षित करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115बीएबी के तहत 15% की रियायती कॉरपोरेट कर दर फिर से लागू की जानी चाहिए। इससे विदेशी निवेश, रोजगार सृजन तथा निर्माण क्षेत्र के विस्तार को बल मिल सकता है।
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