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एक साइन की कीमत 40 लाख रुपये! इस शहर में चौथी मंजिल के लिए होने लगा खेल, NOC के लिए पड़ोसी बने जरूरी

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नई दिल्ली: अगर आप कोई घर बनवा रहे हैं तो क्या उसके लिए पड़ोसी से एनओसी लेनी जरूरी है? शायद नहीं। लेकिन गुरुग्राम में ऐसा हो रहा है। दरअसल, यहां एक खेल चल रहा है। ये खेल है पड़ोसियों के बीच और यह पूरी तरह से कानूनी है। हरियाणा सरकार की नई 'स्टिल्ट + 4' पॉलिसी आई है। इससे लोग अपनी प्रॉपर्टी पर चार मंजिल तक बना सकते हैं।



चौथी मंजिल बनाने से प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती है। लेकिन, चौथी मंजिल बनाने से पहले आपको अपने पड़ोसी से NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेना पड़ता है। इसके लिए वो आपसे पैसे मांग सकते हैं। दरअसल, एनओसी पर साइन करने होते हैं। ऐसे में कह सकते हैं कि साइन की कीमत लाखों रुपये हो सकती है।



पड़ोसी उठा रहे फायदाइन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा ने लिंक्डइन पर इस बारे में लिखा है। उन्होंने बताया कि कैसे गुरुग्राम के लोग अपने पड़ोस का फायदा उठा रहे हैं। हरियाणा के नए नियमों के अनुसार, मालिक अब स्टिल्ट पार्किंग के साथ चार मंजिल बना सकते हैं। पहले, यह सीमा सिर्फ तीन मंजिलों तक ही थी। लेकिन, चौथी मंजिल बनाने के लिए पड़ोसी से एनओसी लेना जरूरी है।



कितना पैसा मांग सकते हैं पड़ोसी?आहूजा ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि जैसे ही कोई व्यक्ति एक और मंजिल बनाता है, उस अतिरिक्त मंजिल को मौजूदा बाजार मूल्य पर 4 करोड़ रुपये में बेचा जा सकता है। इसका मतलब है कि पड़ोसी आपकी कमाई का 10% मांग सकता है। ऐसे में यह रकम 40 लाख रुपये तक हो सकती है।



कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है कि आप पड़ोसी को एनओसी के लिए पैसे नहीं दे सकते। और तो और, कानून ये भी नहीं बताता कि आप कितने पैसे दे सकते हैं। अगर आपका पड़ोसी एनओसी देने से मना कर देता है तो आपको अपनी बिल्डिंग को 1.8 मीटर पीछे हटाना होगा। इससे आपकी जगह कम हो जाएगी और आपके प्रोजेक्ट को नुकसान होगा।



क्या सौदेबाजी का अड्डा बनी पॉलिसी?शहर के योजनाकारों का कहना है कि ये पॉलिसी गुरुग्राम जैसे शहरों में घरों की कमी को दूर करने के लिए बनाई गई है। लेकिन, जमीन पर ये पॉलिसी मोहल्लों को सौदेबाजी का अड्डा बना रही है। आहूजा ने कहा कि जैसे-जैसे पड़ोसी एक-दूसरे को जानना बंद कर देते हैं... ऐसे में ये बातचीत पैसे कमाने का मौका बन जाती है।



लॉ एक्सपर्ट बोले- कोई रोक नहींलॉ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे पेमेंट पर कोई रोक नहीं है। लेकिन, नैतिक रूप से ये सही है या गलत, इस पर बहस हो सकती है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप पूंजीवाद, समुदाय और भारतीय शहरी जीवन को कैसे देखते हैं।

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