Next Story
Newszop

Success Story: दिवालिया होने के कगार पर थे, बचे थे सिर्फ ₹3000... फिर ऐसे खुली किस्मत, बना डाला करोड़ों का साम्राज्य

Send Push
नई दिल्‍ली: चैतन्य रामलिंगेगौड़ा 'वेकफिट' के सह-संस्थापक हैं। एक समय वह दिवालिया होने के कगार पर थे। उन्होंने वेकफिट से पहले कई स्टार्टअप शुरू किए। लेकिन, वे सभी असफल रहे। 2014 में उनके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं थे। हालांकि, चैतन्‍य ने हार नहीं मानी। उन्होंने अंकित गर्ग के साथ मिलकर 2015 में वेकफिट की शुरुआत की। यह एक ऑनलाइन मैट्रेसेस और स्‍लीप सॉल्‍यूशन स्टार्टअप है। आज, वेकफिट देश के सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता ब्रांडों में से एक है। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी ने 813 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू दर्ज किया था। आइए, यहां चैतन्य रामलिंगेगौड़ा की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।
2011 में छोड़ दी नौकरी image

चैतन्य रामलिंगेगौड़ा ने इंडियन स्‍कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया है। एमबीए करने के बाद उन्होंने डेलॉयट और कग्निजेंट जैसी कंसल्टेंसी फर्मों में काम किया। 2011 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना पहला स्टार्टअप शुरू किया। यह एक डेटिंग ऐप था। इसका नाम था- फ्लटरबाय सर्विसेज। ऐप का उद्देश्य लोगों को मिलना और वाइन टेस्टिंग, पॉटरी और डांस क्लास जैसी सामान्य गतिविधियों से जोड़ना था। यह टिंडर की तरह नहीं था। टिंडर में लोग स्वाइप करके स्वीकार या अस्वीकार करते हैं। चैतन्‍य का ऐप सफल नहीं हुआ।


दूसरा स्‍टार्टअप भी फेल रहा image

2012 के अंत में चैतन्‍य ने फिर से एक स्टार्टअप शुरू किया। यह महिलाओं का ऑनलाइन कम्‍युनिटी स्‍टार्टअप था। इस स्टार्टअप ने थोड़ी सफलता दिखाई। इसने एंजेल फंडिंग भी जुटाई। लेकिन, जल्द ही इस बात का एहसास हुआ कि स्‍टार्टअप सिर्फ जिंदा है। उन्‍हें कर्मचारियों की सैलरी निकालने में भी मुश्किल हो रही थी। रात-दिन एक करने के बाद भी उनके पास सफल स्टार्टअप का बड़ा टारगेट नहीं था। सबसे बड़ी बात कि उनके पास कोई महत्वपूर्ण उत्पाद या सेवा नहीं थी। दोनों ही मामलों में चैतन्‍य के स्टार्टअप असफल रहे।


बैंक खाते में बचे थे सिर्फ 3000 रुपये image

एक रात चैतन्‍य अपने बैंक खाते से 3,000 रुपये निकालने गए। तब उन्हें एहसास हुआ कि यह पैसा उन्हें एक सप्ताह तक चलाना होगा। उनके पास कोई और पैसा नहीं था। उनकी सारी बचत उनके स्टार्टअप में लगी हुई थी। वह पार्ट टाइम कंसल्टिंग करके ही किराया दे रहे थे। वह सबकुछ गंवा देने के करीब थे। इसके बावजूद स्टार्टअप के 10 कर्मचारियों को अंत तक समय पर वेतन दिया गया। लेकिन, इसकी कीमत चैतन्‍य को चुकानी पड़ी। उन्होंने ऑफिस बंद कर दिया। उन्होंने ऑफिस को अपने घर में शिफ्ट कर दिया। 2014 में उन्होंने आखिरकार इसे बंद कर दिया।


2015 में लॉन्च किया वेकफिट image

चैतन्‍य के पास कोई बचत नहीं थी। उनके पास कोई नया विचार नहीं था। फिर उन्होंने सिकोआ से वित्त पोषित हेल्‍पचैट (अब Tapzo) ज्वाइन किया। यह ऐप्स का एग्रीगेटर था। यह पेमेंट, कैब बुकिंग, शॉपिंग आदि के लिए वन-स्टॉप-शॉप बनना चाहता था। उन्होंने एक साल से भी कम समय में वीपी ऑफ ऑपरेशंस के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्हें वह मिल गया था जो वह चाहते थे। हेल्‍पचैट में उनकी मुलाकात अंकित गर्ग से हुई। अंकित मैट्रेस इंडस्‍ट्री के एक्‍सपर्ट थे। 2015 के अंत में उन्होंने वेकफिट लॉन्च किया। यह मैट्रेस की ऑनलाइन रिटेलर है। यह एक डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड है। अब यह कंपनी सालाना करोड़ों का कारोबार कर रही है।

Loving Newspoint? Download the app now