नई दिल्ली: भारत अपना पहला प्राइवेट कमर्शियल रॉकेट अगले तीन महीने के अंदर लॉन्च करने वाला है। पहले इसके इसी साल के अंत में लॉन्च होने की संभावना थी। इसके साथ ही भारत, अमेरिका जैसे उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, जहां निजी कंपनियां इस तरह की अंतरिक्ष मिशन में योगदान दे रही हैं। एक बार लॉन्चिंग के बाद स्काईरूट एयरोस्पेस हर महीने एक लॉन्चिंग की योजना को लक्ष्य बनाकर चल रहा है।
पहले प्राइवेट रॉकेट लॉन्चिंग की तैयारी
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस ( Skyroot Aerospace ) अपना पहला कमर्शियल सैटेलाइट मिशन 2026 के जनवरी में लॉन्च करने की तैयारी में है। इस भारतीय एयरोस्पेस कंपनी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दो पूर्व वैज्ञानिकों ने 2018 में स्थापित किया है।
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की नई ताकत
अपने स्पेश मिशन के लिए स्काईरूट एयरोस्पेस ने लो अर्थ स्पेस लॉन्च व्हीकल (low Earth space launch vehicle) बनाया है, जिसे विक्रम-1 (Vikram-1) नाम दिया गया है। भारत में अभी तक सिर्फ इसरो ही अंतरिक्ष की कक्षा में सैटेलाइट भेजने के लिए रॉकेट लॉन्च करता रहा है। जिस दिन विक्रम-1 लॉन्च हो जाएगा, भारत स्पेस सेक्टर में अपना स्थान और ज्यादा मजबूत कर लेगा। वैसे भी इसरो के पास इस क्षेत्र में कई विश्वव्यापी कीर्तिमान हैं।
हर महीने एक रॉकेट लॉन्च का लक्ष्य
स्काईरूट एयरोस्पेस एक स्टार्टअप है, जिसमें टेमासेक और जीआईसी जैसे ग्लोबल इंवेस्टरों ने निवेश किया है। रिपोर्ट के अनुसार इसका लक्ष्य अगले साल से हर तीन महीने पर एक रॉकेट लॉन्च करने की है, जिसे 2027 तक बढ़ाकर महीने में एक की संख्या तक पहुंचाना है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेलोड ले जाएगा
स्काईरूट के सीईओ पवन चंदना ने कहा है कि 'एक रॉकेट बनाने में करीब 8 से 9 महीने लग जाते हैं और इसकी कीमत 20 से 30 लाख डॉलर तक होती है। प्रत्येक लॉन्च से हमारी रेवेन्यू की उम्मीद इससे लगभग दोगुनी है।' उनके अनुसार पहले लॉन्च के साथ ही कंपनी करीब 50 लाख डॉलर प्रत्येक लॉन्च रेवेन्यू का अनुमान है। इस बार विक्रम-1 अपने साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेलोड भी ले जाने वाला है।
स्काईरूट वाले भारत के एलन मस्क कौन?
स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना 12 जून, 2018 को हुई थी और तब से इसने 850 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसने 2022 के नवंबर में अपने पहले सबऑर्बिटल व्हीकल विक्रम-एस का सफल परीक्षण किया था। इसके फाउंडर पवन चंदना और नागर भरत डाका हैं, जो इसरो के पूर्व वैज्ञानिक हैं। विक्रम-1 की लॉन्चिंग के साथ ही इनका नाम अमेरिकी अरबपति एलन मस्क के साथ लिया जाने लगेगा, जिनकी स्पेसएक्स (SpaceX) ने पूरी दुनिया में प्राइवेट स्पेस कारोबार में बुलंदियों के झंडे गाड़ रखे हैं।
पहले प्राइवेट रॉकेट लॉन्चिंग की तैयारी
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस ( Skyroot Aerospace ) अपना पहला कमर्शियल सैटेलाइट मिशन 2026 के जनवरी में लॉन्च करने की तैयारी में है। इस भारतीय एयरोस्पेस कंपनी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दो पूर्व वैज्ञानिकों ने 2018 में स्थापित किया है।
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की नई ताकत
अपने स्पेश मिशन के लिए स्काईरूट एयरोस्पेस ने लो अर्थ स्पेस लॉन्च व्हीकल (low Earth space launch vehicle) बनाया है, जिसे विक्रम-1 (Vikram-1) नाम दिया गया है। भारत में अभी तक सिर्फ इसरो ही अंतरिक्ष की कक्षा में सैटेलाइट भेजने के लिए रॉकेट लॉन्च करता रहा है। जिस दिन विक्रम-1 लॉन्च हो जाएगा, भारत स्पेस सेक्टर में अपना स्थान और ज्यादा मजबूत कर लेगा। वैसे भी इसरो के पास इस क्षेत्र में कई विश्वव्यापी कीर्तिमान हैं।
हर महीने एक रॉकेट लॉन्च का लक्ष्य
स्काईरूट एयरोस्पेस एक स्टार्टअप है, जिसमें टेमासेक और जीआईसी जैसे ग्लोबल इंवेस्टरों ने निवेश किया है। रिपोर्ट के अनुसार इसका लक्ष्य अगले साल से हर तीन महीने पर एक रॉकेट लॉन्च करने की है, जिसे 2027 तक बढ़ाकर महीने में एक की संख्या तक पहुंचाना है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेलोड ले जाएगा
स्काईरूट के सीईओ पवन चंदना ने कहा है कि 'एक रॉकेट बनाने में करीब 8 से 9 महीने लग जाते हैं और इसकी कीमत 20 से 30 लाख डॉलर तक होती है। प्रत्येक लॉन्च से हमारी रेवेन्यू की उम्मीद इससे लगभग दोगुनी है।' उनके अनुसार पहले लॉन्च के साथ ही कंपनी करीब 50 लाख डॉलर प्रत्येक लॉन्च रेवेन्यू का अनुमान है। इस बार विक्रम-1 अपने साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेलोड भी ले जाने वाला है।
स्काईरूट वाले भारत के एलन मस्क कौन?
स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना 12 जून, 2018 को हुई थी और तब से इसने 850 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसने 2022 के नवंबर में अपने पहले सबऑर्बिटल व्हीकल विक्रम-एस का सफल परीक्षण किया था। इसके फाउंडर पवन चंदना और नागर भरत डाका हैं, जो इसरो के पूर्व वैज्ञानिक हैं। विक्रम-1 की लॉन्चिंग के साथ ही इनका नाम अमेरिकी अरबपति एलन मस्क के साथ लिया जाने लगेगा, जिनकी स्पेसएक्स (SpaceX) ने पूरी दुनिया में प्राइवेट स्पेस कारोबार में बुलंदियों के झंडे गाड़ रखे हैं।
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