लद्दाख: लद्दाख में कर्फ्यू और मोबाइल इंटरनेट पर बैन के बीच रविवार को मारे गए चार प्रदर्शनकारियों में से दो का अंतिम संस्कार कर दिया गया। लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर 24 सितंबर को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था।
दोनों प्रदर्शनकारियों का किया गया अंतिम संस्कार
दोनों प्रदर्शनकारी जिग्मत दोरजी और स्टैनज़िन नामग्याल का अंतिम संस्कार भारी सुरक्षा के बीच किया गया, जिसमें सिर्फ कुछ रिश्तेदार ही शामिल हो पाए। अंतिम संस्कार लेह के शहीद पार्क में किया गया, जिसके चारों ओर कांटेदार तार लगाए गए थे। जिससे की आसपास के लोगों को इकट्ठा होने से रोका जा सके। अधिकारियों ने लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी पार्षद को भी अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं दी। इसके अलावा दो बचे हुए प्रदर्शनकारियों का अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा।
लद्दाख कांग्रेस के प्रमुख ने केंद्र सरकार को घेरा
रविवार को लद्दाख उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इसी बीच लद्दाख कांग्रेस के प्रमुख तारिक हामिद कर्रा ने इस पूरी घटना के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र और बीजेपी को लद्दाख की स्थिति के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराना बंद कर देना चाहिए।
'आर्टिकल 370 का जश्न मनाने के लिए किया इस्तेमाल'
लद्दाख कांग्रेस के प्रमुख ने 24 सितंबर के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की भी निंदा की। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि बीजेपी ने 2019 में आर्टिकल 370 को हटाने का जश्न मनाने के लिए लद्दाखियों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि अब जब लद्दाखी संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग करने लगे तो उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया।
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