बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एक शिक्षक के घर दुर्लभ रेड सेंड बोआ प्रजाति का सांप मिला है। दूसरी ओर खतरनाक रसल वाइपर ने दस्तक दी है। सेंड बोआ तांत्रिकों का मनपसंद सांप माना जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में बिकता है।
बड़वानी जिले के अंजड़ तहसील के तलवाड़ा डेब गांव में देर रात दुर्लभ माने जाने वाला सांप सेंड बोआ का रेस्क्यू किया गया। हालांकि इस मामले की सूचना वन विभाग को नहीं दी गई। तलवाड़ा डेब में शुक्रवार रात करीब 12:00 बजे सरकारी टीचर विश्राम जमरे के घर सीढ़ियों के नीचे से यह सांप देखा गया। तत्काल क्षेत्र के सर्पमित्र नीलेश उपाध्याय को इसकी सूचना दी गई। सर्पमित्र ने सीढ़ियों के नीचे साउंड बॉक्स के पास दुबक कर बैठे सेंड बोआ को देखा और परिवार को आश्वस्त किया कि यह जहरीला सांप नहीं है। उन्होंने बताया कि यह अफवाह है कि इसके दो मुंह होते हैं। दरअसल इसके मुंह और पूंछ का शेप एक जैसा होता है, इसलिए इसको दोमुंहा बोला जाता है।
4 फीट 4 इंज लंबा था सांप
उन्होंने इसे अंधविश्वास जादू-टोने और दुर्लभ रोगों के लिए प्रयोग किए जाने के मामले को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह अफवाह है। उन्होंने कहा कि इसी अफवाह के चलते इसकी तस्करी होती है और यह बहुत महंगे दामों में खरीदा बेचा जाता है। सर्पमित्र ने इसे सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि यह रेट सेंड बोआ प्रजाति का सांप है और इसकी लंबाई 4 फीट 4 इंच और वजन 4.400 किग्रा था।
सेंड बोआ की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। इसका उपयोग कथित तौर दवाओं और अंधविश्वास के मामलों में किया जाता है। कीमती होने के चलते तस्करी की भी खबरें सामने आती है। दुर्लभ और संरक्षित प्रजाति के रेड सैंड बोआ की कीमत करोड़ों में होती है। इस सांप को चकलोन या दोमुंहा सांप भी कहा जाता है।
इंदौर में हुई थी इस सांप की तस्करी
कुछ दिनों पहले इंदौर के मानपुर क्षेत्र में पुलिस ने एक दुर्लभ और संरक्षित रेड सैंड बोआ सांप की तस्करी करते हुए चार तस्करों को गिरफ्तार भी किया है। वे इसे करीब डेढ करोड रुपए में बेचने की योजना बना रहे थे। बड़वानी के डीएफओ आशीष बंसोड़ ने बताया कि वन विभाग को इस घटना की सूचना नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि उनका सर्प और लेपर्ड रेस्क्यू स्क्वाड डिवीजन लेवल पर स्थापित है। उन्होंने कल ही मीटिंग लेकर बताया है कि इस तरह के स्क्वाड अब रेंज लेवल पर स्थापित किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इच्छुक स्टाफ को ट्रेनिंग दिलवा कर उनके कॉन्टेक्ट नंबर प्रसारित किए जाएंगे।
उधर बड़वानी जिले के पानसेमल सबडिवीजन में एक खतरनाक रसेल वाइपर का रेस्क्यू किया गया। लेकिन इस मामले में सर्पमित्र ने वन विभाग को बाकायदा सूचित किया। ग्राम मतराला के दिनेश चौहान की सूचना पर सर्पमित्र सचिन नकराले और चंद्रपाल राजपूत वहां गए। और उन्होंने एक खेत से खतरनाक रसेल वाइपर का रेस्क्यू कर उसे वन विभाग की स्वीकृति के बाद जंगल में छोड़ा।
बड़वानी जिले के अंजड़ तहसील के तलवाड़ा डेब गांव में देर रात दुर्लभ माने जाने वाला सांप सेंड बोआ का रेस्क्यू किया गया। हालांकि इस मामले की सूचना वन विभाग को नहीं दी गई। तलवाड़ा डेब में शुक्रवार रात करीब 12:00 बजे सरकारी टीचर विश्राम जमरे के घर सीढ़ियों के नीचे से यह सांप देखा गया। तत्काल क्षेत्र के सर्पमित्र नीलेश उपाध्याय को इसकी सूचना दी गई। सर्पमित्र ने सीढ़ियों के नीचे साउंड बॉक्स के पास दुबक कर बैठे सेंड बोआ को देखा और परिवार को आश्वस्त किया कि यह जहरीला सांप नहीं है। उन्होंने बताया कि यह अफवाह है कि इसके दो मुंह होते हैं। दरअसल इसके मुंह और पूंछ का शेप एक जैसा होता है, इसलिए इसको दोमुंहा बोला जाता है।
4 फीट 4 इंज लंबा था सांप
उन्होंने इसे अंधविश्वास जादू-टोने और दुर्लभ रोगों के लिए प्रयोग किए जाने के मामले को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह अफवाह है। उन्होंने कहा कि इसी अफवाह के चलते इसकी तस्करी होती है और यह बहुत महंगे दामों में खरीदा बेचा जाता है। सर्पमित्र ने इसे सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि यह रेट सेंड बोआ प्रजाति का सांप है और इसकी लंबाई 4 फीट 4 इंच और वजन 4.400 किग्रा था।
सेंड बोआ की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। इसका उपयोग कथित तौर दवाओं और अंधविश्वास के मामलों में किया जाता है। कीमती होने के चलते तस्करी की भी खबरें सामने आती है। दुर्लभ और संरक्षित प्रजाति के रेड सैंड बोआ की कीमत करोड़ों में होती है। इस सांप को चकलोन या दोमुंहा सांप भी कहा जाता है।
इंदौर में हुई थी इस सांप की तस्करी
कुछ दिनों पहले इंदौर के मानपुर क्षेत्र में पुलिस ने एक दुर्लभ और संरक्षित रेड सैंड बोआ सांप की तस्करी करते हुए चार तस्करों को गिरफ्तार भी किया है। वे इसे करीब डेढ करोड रुपए में बेचने की योजना बना रहे थे। बड़वानी के डीएफओ आशीष बंसोड़ ने बताया कि वन विभाग को इस घटना की सूचना नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि उनका सर्प और लेपर्ड रेस्क्यू स्क्वाड डिवीजन लेवल पर स्थापित है। उन्होंने कल ही मीटिंग लेकर बताया है कि इस तरह के स्क्वाड अब रेंज लेवल पर स्थापित किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इच्छुक स्टाफ को ट्रेनिंग दिलवा कर उनके कॉन्टेक्ट नंबर प्रसारित किए जाएंगे।
उधर बड़वानी जिले के पानसेमल सबडिवीजन में एक खतरनाक रसेल वाइपर का रेस्क्यू किया गया। लेकिन इस मामले में सर्पमित्र ने वन विभाग को बाकायदा सूचित किया। ग्राम मतराला के दिनेश चौहान की सूचना पर सर्पमित्र सचिन नकराले और चंद्रपाल राजपूत वहां गए। और उन्होंने एक खेत से खतरनाक रसेल वाइपर का रेस्क्यू कर उसे वन विभाग की स्वीकृति के बाद जंगल में छोड़ा।
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