नसीर गनई, उड़ी : उत्तर कश्मीर में उड़ी के नौपोरा गांव में गुरुवार सुबह सन्नाटा पसरा था जल चुकी दीवारें टूटी छत और बिखरे मलवे ने वहां की रात की दहशत बयां की। बुधवार रात पाकिस्तान की भारी गोलाबारी ने गांव को खाक में मिला दिया था। 22 साल के ताहिर तालीब अपने घर के खंडहरों के सामने खड़े थे। उन्होंने कहा, 'मैं श्रीनगर में सेल्समैन हूं। बड़ी मेहनत से ये घर बनाया था, अब सब खत्म हो गया। अब परिवार कहां रहेगा, कुछ समझ नहीं आ रहा।'उड़ी का यह इलाका हमेशा से सीमा के पास होने की वजह से संवेदनशील रहा है। 18 सितंबर 2016 को सेना बेस पर आतंकी हमले में 19 जवान शहीद हुए थे, जिसके बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उसके बाद से शांति बनी हुई थी, लेकिन अब हालात फिर बदल गए हैं। चार दिन पहले थे सामान्य हालातमंगलवार तक उड़ी की गलियों में चहल-पहल थी, बच्चे स्कूल जा रहे थे क्रिकेट खेल रहे थे और सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा था। लेकिन बुधवार तड़के सब बदल गया। तुलावाड़ी गांव में 75 साल के गुलाम हसन अपने नातियों के साथ रातभर बंकर में रहे। उन्होंने बताया 'रातभर गोलों की आवाज आती रही, लगा अब नहीं बचेंगे।' सिर्फ कपड़े लेकर भाग पाएताहिर को बुधवार देर रात भाई साहिल का फोन आया, 'भारी गोलाबारी हो रही है। कुछ देर बाद उनके घर पर मोटार गिरा ताहिर ने बताया शुक्र है कि परिवार ने पहले ही घर बदल लिया था वो सिर्फ कपड़े लेकर भाग पाए। सुबह होते ही उनका परिवार बोनियार चला गया। परिवार के साथ भागेपड़ोसी अब्दुल कयूम मीर (52) गुरुवार को मवेशियों को देखने लौटे थे। उन्होंने कहा, 'रात 2 बजे मोटार आए, घर हिल गए। तीन घर पूरी तरह तवाह हो गए। हमने कई बार बंकर की मांग की थी, लेकिन 2003 के सीजफायर के बाद सब शांत हो गया और मांगें भी थम गई।'बुधवार सुबह वो अपने परिवार के साथ बारामुला भाग गए। बचाखुचा समेट रहे लोगकयूम मीर ने कहा, 'ऐसी भीषण गोलाबारी मैंने कभी नहीं देखी।'गुरुवार दोपहर वे फिर जाने की तैयारी में थे अब उड़ी की बाजारें बंद हैं, निर्माण कार्य रुके हैं और पूरे इलाके में आपातकालीन वाहन घूम रहे हैं। नीपोरा के ज्यादातर लोग घर छोड़ चुके हैं। कुछ लोग जैसे ताहिर और मीर वापस आकर मवेशियों की देखभाल कर रहे हैं और जो कुछ बचा है, उसे समेट रहे हैं। उम्मीद सिर्फ एक है शांति लौटे।
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