प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना मामले में पुलिस अधिकारी पर एक्शन का मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे के बावजूद कार्रवाई करने पर जिले के कंधई थाना प्रभारी गुलाबचंद सोनकर को उनके पद से हटा दिया गया है। प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक दीपक भूकर ने उन्हें निलंबित करते हुए लाइन हाजिर कर दिया। एसपी ने उनके स्थान पर पट्टी कोतवाली के अतिरिक्त निरीक्षक अनिल कुमार को कंधई थाने का नया प्रभारी नियुक्त किया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट में 7 नवंबर को फिर सुनवाई होनी है। हालांकि, इससे पहले ही एसपी की कार्रवाई सामने आई है। इसके बाद मामला खूब चर्चा में है।
क्या है पूरा मामला?कंधई के रहने वाले पीड़ित राम सागर तिवारी ने अपने एक केस में पुलिस की ओर से उत्पीड़न और अपमानित करने का आरोप लगाते हुए राहत एवं न्याय की अपील की थी। कंधई थाना क्षेत्र के रहने वाले रामसागर तिवारी ने पुलिस पर उत्पीड़न और अपमान का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए रामसागर की गिरफ्तारी पर रोक (स्टे) लगा दी थी। इसके बावजूद थाना प्रभारी गुलाबचंद सोनकर और सब इंस्पेक्टर राजेश यादव ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया।
जांच में मिली लापरवाहीसुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर गंभीर नाराजगी जताते हुए प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया था कि एडीजी स्तर के अधिकारी से पूरे मामले की जांच कराई जाए। इसके बाद प्रयागराज जोन के एडीजी डॉ. संजीव गुप्ता ने प्रतापगढ़ पहुंचकर जांच की। रिपोर्ट 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि कंधई इंस्पेक्टर गुलाबचंद सोनकर, एसआई राजेश कुमार और मिथलेश चौरसिया ने शीर्ष अदालत के आदेश की अवहेलना की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान इंस्पेक्टर सोनकर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। जब वे अदालत में उपस्थित हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने माना कि उन्होंने जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणीसुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्दी की आड़ में कोई भी व्यक्ति न्याय की धारा को गंदा करने का अधिकार नहीं रखता। यह आचरण अवमानना अपराध 1971 की धारा 12 के अंतर्गत आता है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि ऐसे पुलिस कर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
डीजीपी के आदेश पर निलंबनसुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद डीजीपी मुख्यालय से निर्देश जारी किए गए, जिसके तहत एसपी दीपक भूकर ने थाना प्रभारी गुलाबचंद सोनकर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। उनके स्थान पर अनिल कुमार को कंधई थाने का नया प्रभारी बनाया गया है। वहीं, जांच की जिम्मेदारी सीओ स्तर के अधिकारी को दी गई है।
भ्रष्टाचार के भी हैं आरोपगुलाबचंद सोनकर के खिलाफ एक और व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की है। इस मामले में भी शासन ने रिपोर्ट तलब की है। एसपी दीपक भूकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संबंधित अधिकारी को निलंबित कर जांच सीओ को सौंप दी गई है। साथ ही अन्य प्रकरणों की भी समीक्षा और जांच कराई जा रही है।
इसके अलावा हथिगवां थाने के बनवारीलाल पाल को ऑनलाइन रुपये लेने के मामले में लाइन हाजिर किया गया है। इस प्रकरण की भी जांच जारी है। वहीं, पट्टी कोतवाली के एआई अनिल कुमार को प्रभारी निरीक्षक कंधई बनाया गया है।
क्या है पूरा मामला?कंधई के रहने वाले पीड़ित राम सागर तिवारी ने अपने एक केस में पुलिस की ओर से उत्पीड़न और अपमानित करने का आरोप लगाते हुए राहत एवं न्याय की अपील की थी। कंधई थाना क्षेत्र के रहने वाले रामसागर तिवारी ने पुलिस पर उत्पीड़न और अपमान का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए रामसागर की गिरफ्तारी पर रोक (स्टे) लगा दी थी। इसके बावजूद थाना प्रभारी गुलाबचंद सोनकर और सब इंस्पेक्टर राजेश यादव ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया।
जांच में मिली लापरवाहीसुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर गंभीर नाराजगी जताते हुए प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया था कि एडीजी स्तर के अधिकारी से पूरे मामले की जांच कराई जाए। इसके बाद प्रयागराज जोन के एडीजी डॉ. संजीव गुप्ता ने प्रतापगढ़ पहुंचकर जांच की। रिपोर्ट 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि कंधई इंस्पेक्टर गुलाबचंद सोनकर, एसआई राजेश कुमार और मिथलेश चौरसिया ने शीर्ष अदालत के आदेश की अवहेलना की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान इंस्पेक्टर सोनकर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। जब वे अदालत में उपस्थित हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने माना कि उन्होंने जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणीसुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्दी की आड़ में कोई भी व्यक्ति न्याय की धारा को गंदा करने का अधिकार नहीं रखता। यह आचरण अवमानना अपराध 1971 की धारा 12 के अंतर्गत आता है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि ऐसे पुलिस कर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
डीजीपी के आदेश पर निलंबनसुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद डीजीपी मुख्यालय से निर्देश जारी किए गए, जिसके तहत एसपी दीपक भूकर ने थाना प्रभारी गुलाबचंद सोनकर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। उनके स्थान पर अनिल कुमार को कंधई थाने का नया प्रभारी बनाया गया है। वहीं, जांच की जिम्मेदारी सीओ स्तर के अधिकारी को दी गई है।
भ्रष्टाचार के भी हैं आरोपगुलाबचंद सोनकर के खिलाफ एक और व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की है। इस मामले में भी शासन ने रिपोर्ट तलब की है। एसपी दीपक भूकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संबंधित अधिकारी को निलंबित कर जांच सीओ को सौंप दी गई है। साथ ही अन्य प्रकरणों की भी समीक्षा और जांच कराई जा रही है।
इसके अलावा हथिगवां थाने के बनवारीलाल पाल को ऑनलाइन रुपये लेने के मामले में लाइन हाजिर किया गया है। इस प्रकरण की भी जांच जारी है। वहीं, पट्टी कोतवाली के एआई अनिल कुमार को प्रभारी निरीक्षक कंधई बनाया गया है।
You may also like

उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में संघ के शताब्दी वर्ष पर अभिनन्दन, मुख्यमंत्री बोले- तपोमयी यात्रा ने भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्र के लिए प्रवाहित की दिव्य धारा

झारखंड पुलिस मुख्यालय का आदेश : 15 नवंबर से पुलिसकर्मी पहनें शीतकालीन वर्दी

लखनऊ-गोंडा पैसेंजर ट्रेन फिर से दौड़ेगी! रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने रखी मांग

नई दिल्ली : जिला अदालतें 6 नवंबर को बंद, एडवोकेट विक्रम सिंह को झूठे केस में फंसाने का विरोध

मुनव्वर फारूकी की नई वेब सीरीज 'फर्स्ट कॉपी-2' का रोमांटिक गाना 'खामखा' हुआ रिलीज!




