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CBSE Topper 2025: एसिड अटैक में खोई रोशनी, जज्बे से CBSE 12वीं में मारी बाजी, IAS बनने का है ख्वाब, हरियाणा की इस छोरी ने जीता सबका दिल

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चंडीगढ़: कैफी नाम की एक लड़की ने अपनी जिंदगी में रोशनी देखने से पहले ही अंधेरा देख लिया था। जब वह सिर्फ तीन साल की थी। तब एक पड़ोसी ने पारिवारिक झगड़े में उस पर तेजाब फेंक दिया। इस हमले से वह अंधी हो गई। इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी। मंगलवार को कैफी ने सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा में 95.6 प्रतिशत अंक हासिल करके सभी को चौंका दिया। उसने यह साबित कर दिया कि साहस ही असली रोशनी है न कि आंखें। वहीं कैफी के पिता पवन इस सफलता से गदगद हैं। वह कहते हैं कि मुझे अपनी बेटी पर बहुत गर्व है। उसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। क्लास में किया टॉपचंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित नेत्रहीन संस्थान की छात्रा कैफी काफी सालों से प्रेरणा का स्रोत रही है। सीबीएसई के नतीजों की घोषणा के साथ उसने न केवल अपनी कक्षा में टॉप किया है। बल्कि पूरे देश को प्रेरित किया है। कैफी ने बताया कि मैं हरियाणा के हिसार से हूं। जब मैंने अपना रिजल्ट सुना तो मैं बहुत खुश हुई। लेकिन उससे भी ज्यादा मुझे गर्व हुआ कि मैं अपने माता-पिता को खुशी दे सकी। उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया है। कैफी के जीवन का वह हादसाकैफी का जीवन आसान नहीं रहा है। 2011 में होली के त्योहार के दौरान उस पर हमला हुआ था। यह रंग और उत्सव का समय था। उसने याद करते हुए कहा कि मैं सिर्फ तीन साल की थी। हम नहीं समझ पाए कि उन्होंने ऐसा क्यों किया गया। कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। लेकिन इससे सब कुछ बदल गया। उसने एम्स दिल्ली में कई सालों तक इलाज करवाया। जब यह साफ हो गया कि उसकी रोशनी वापस नहीं आएगी, तो उसके परिवार ने एक बड़ा फैसला लिया। उसे वापस स्कूल भेजने और शिक्षा को उसका भविष्य बनाने देने का। एसिड अटैक के 5 साल पर आई स्कूलकैफी ने एसिड अटैक के पांच साल बाद 2016 में पहली बार कक्षा में कदम रखा। आज वह 16 लाख से अधिक छात्रों के बीच खड़ी है। जिन्होंने सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा दी। उसका नाम पहले से कहीं ज्यादा चमक रहा है। कैफी की महत्वाकांक्षाएं उसके नंबरों से भी ऊंची हैं। उसने बताया कि मैं एक IAS अधिकारी बनना चाहती हूं। मैं ईमानदारी और समर्पण के साथ अपने देश की सेवा करना चाहती हूं। मेरा मानना है कि मेरे जैसे पीड़ितों को सहानुभूति की नहीं, बल्कि अवसरों की जरूरत है। माता-पिता का मिला अटूट समर्थनकैफी ने बताया कि उसके यहां तक के सफर के दौरान माता-पिता का अटूट समर्थन मिला है। उसने बताया कि किसी भी माता-पिता की तरह उन्होंने हर कदम पर मेरी मदद की है। उन्होंने त्याग किया ताकि मैं सपने देख सकूं और इसने मुझे अपना 100 प्रतिशत देने के लिए प्रेरित किया। मैं उन्हें गौरवान्वित करना चाहती थी। मंगलवार को जब सीबीएसई ने परिणाम घोषित किए, तो लड़कियों ने एक बार फिर लड़कों को पछाड़ दिया। कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 88.39 प्रतिशत रहा। इसमें लड़कियों ने 91.64 प्रतिशत दर्ज किया, जो लड़कों से लगभग छह प्रतिशत अंक अधिक है। क्या बोले पिता?कैफी के पिता पवन कहते हैं कि मुझे अपनी बेटी पर बहुत गर्व है। उसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। उसने 10वीं में भी टॉप किया है। जब वह 2 साल की थी। तो हमारे पड़ोसियों ने उस पर तेजाब डाल दिया था। उस घटना के बाद वह अंधी हो गई। मैं एक कॉन्ट्रैक्ट वर्कर हूं और यहां ऑटोरिक्शा भी चलाता हूं।
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