वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बार फिर BRICS (ब्रिक्स) समूह के देशों से आयात पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि समूह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा। भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है। ट्रंप ने समूह के देशों का नाम लिए बिना कहा, 'जब मैंने इस ब्रिक्स समूह के बारे में सुना, तो मैंने उन पर बहुत जोरदार प्रहार किया। और अगर ये कभी सार्थक तरीके से बने भी, तो ये बहुत जल्दी खत्म हो जाएंगे। हम किसी को भी हमारे साथ खेलने की इजाजत नहीं देंगे।' उन्होंने कहा कि ये छोटा ग्रुप तेजी से खत्म हो रहा है।
ट्रंप ने एक बार फिर डॉलर की बादशाहत पर जोर दिया और कहा कि वह वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा के निर्माण की कभी अनुमति नहीं देंगे। ट्रंप ने बीती 6 जुलाई को नए टैरिफ की घोषणा करते हुआ कहा था कि यह उन सभी देशों पर लागू होगा जो ब्रिक्स समूह की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़े हैं।
ब्रिक्स पर ट्रंप लगातार कर रहे हमला
दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले G-7 और G-20 जैसे मंचों में मतभेद और अमेरिकी राष्ट्रपति के अमेरिका फर्स्ट नजरिए के कारण, ब्रिक्स समूह खुद को बहुपक्षीय कूटनीति के विकल्प के रूप में पेश कर रहा है। ट्रंप ने बिना किसी सबूत के बार-बार दावा किया है कि ब्रिक्स समूह की स्थापना विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की भूमिका को कमजोर करने के लिए की गई है।
ट्रंप के दावे पर ब्रिक्स का जवाब
ब्रिक्स नेताओं ने इस दावे को खारिज किया है कि यह समूह अमेरिका-विरोधी है। ब्राजील ने इस साल अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान एक साझा मुद्रा लागू करने की योजना को फरवरी में रद्द कर दिया था, लेकिन समूह ब्रिक्स पे नाम की एक क्रॉस-बार्डर पेमेंट सिस्टम पर काम आगे बढ़ा रहा है, जो स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और वित्तीय लेनदेन को सुगम बनाएगी।
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ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका वाले ब्रिक्स समूह का पिछले साल विस्तार किया गया और इसमें ईरान और इंडोनेशिया जैसे सदस्यों को शामिल किया गया। ट्रंप ने विशेष रूप से ब्राजील पर निशाना साधा है और अगस्त से उसके आयात पर 50% टैरिफ दर की घोषणा की है। वॉशिंगटन ने ब्राजील अनुचित व्यापारिक प्रथाओं के बारे में अलग जांच शुरू की है।
ट्रंप ने एक बार फिर डॉलर की बादशाहत पर जोर दिया और कहा कि वह वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा के निर्माण की कभी अनुमति नहीं देंगे। ट्रंप ने बीती 6 जुलाई को नए टैरिफ की घोषणा करते हुआ कहा था कि यह उन सभी देशों पर लागू होगा जो ब्रिक्स समूह की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़े हैं।
ब्रिक्स पर ट्रंप लगातार कर रहे हमला
दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले G-7 और G-20 जैसे मंचों में मतभेद और अमेरिकी राष्ट्रपति के अमेरिका फर्स्ट नजरिए के कारण, ब्रिक्स समूह खुद को बहुपक्षीय कूटनीति के विकल्प के रूप में पेश कर रहा है। ट्रंप ने बिना किसी सबूत के बार-बार दावा किया है कि ब्रिक्स समूह की स्थापना विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की भूमिका को कमजोर करने के लिए की गई है।
ट्रंप के दावे पर ब्रिक्स का जवाब
ब्रिक्स नेताओं ने इस दावे को खारिज किया है कि यह समूह अमेरिका-विरोधी है। ब्राजील ने इस साल अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान एक साझा मुद्रा लागू करने की योजना को फरवरी में रद्द कर दिया था, लेकिन समूह ब्रिक्स पे नाम की एक क्रॉस-बार्डर पेमेंट सिस्टम पर काम आगे बढ़ा रहा है, जो स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और वित्तीय लेनदेन को सुगम बनाएगी।
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ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका वाले ब्रिक्स समूह का पिछले साल विस्तार किया गया और इसमें ईरान और इंडोनेशिया जैसे सदस्यों को शामिल किया गया। ट्रंप ने विशेष रूप से ब्राजील पर निशाना साधा है और अगस्त से उसके आयात पर 50% टैरिफ दर की घोषणा की है। वॉशिंगटन ने ब्राजील अनुचित व्यापारिक प्रथाओं के बारे में अलग जांच शुरू की है।
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