रियाद: सऊदी अरब की सरकार ने बीते महीने एक अहम फैसले में कफाला सिस्टम को खत्म कर दिया है। इसे विदेशी कामगारों के लिए एक बड़ी राहत की तरह देखा गया है। कई एक्सपर्ट ने कफाला को गुलामी जैसी व्यवस्था बताते हुए सऊदी के इस कदम की तारीफ की। हालांकि कफाला सिस्टम के खत्म होने के बावजूद भारतीय कामगारों की चिंता बनी हुई है, जो सऊदी में काम करने वाले विदेशियों का एक बड़ा हिस्सा हैं। इस चिंता की वजह इस बदलाव का जमीन पर ना उतर पाना है।
टीओआई की रिपोेर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने अपनी 75 साल पुरानी कफाला प्रायोजन प्रणाली को खत्म करते हुए विजन 2030 के तहत एक नया रोजगार अनुबंध शुरू किया है। इसके बावजूद 26 लाख भारतीयों सहित लाखों कम वेतन वाले प्रवासियों के लिए चिंता कम नहीं हो रही है। दरअसल कागज पर घोषित ये स्वतंत्रता अभी तक जमीन पर नहीं पहुंची पाई है।
अभी भी फंसे भारतीयहाल ही में सोशल मीडिया पर एक छोटा वीडियो सामने आया था, जिसमें एक आदमी भोजपुरी में बात कर रहा था। उसके पीछे एक ऊंट और रेगिस्तान को देखा जा सकता है। इस क्लिप में वह मदद की गुहार लगाते हुए कह रहा था कि उसे सऊदी अरब में उसकी इच्छा के विरुद्ध रखा गया है। इस शख्स को उसका कफील (नियोक्ता) वापस नहीं जाने दे रहा है।
वीडियो में यह शख्स कह रहा है, 'मेरा गांव इलाहाबाद में है। मैं सऊदी अरब आया था। अब मेरे कफील ने मेरा पासपोर्ट रख लिया है। मैंने उससे कहा कि मुझे घर जाना है लेकिन वह मेरा पासपोर्ट नहीं दे रहा और मुझे जान से मारने की धमकी दे रहा है। मेरी मदद करें, वरना मैं यहीं मर जाऊंगा।' इस वीडियो से पता चलता है कि कफाला अभी जमीन पर खत्म नहीं हुआ है।
क्या है कफालाअरब देशों में बीते कई दशकों से कफाला सिस्टम भारतीयों के लिए बड़ी परेशानी का सबब रहा है। इसकी वजह से अरब में काम करने के लिए जाने वाले लाखों भारतीयों को मूल मानवाधिकारों से वंचित होना पड़ता है। कफाला में कामगारों को अरब देशों में बंधक की तरह रहने पर मजबूर कर देता है। सऊदी में इसके खत्म होने से भारत, पाकिस्तान जैसे देशों के लोगों ने खासतौर से राहत की सांस ली है। हालांकि अभी जमीन पर इसके असर का इंतजार है।
टीओआई की रिपोेर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने अपनी 75 साल पुरानी कफाला प्रायोजन प्रणाली को खत्म करते हुए विजन 2030 के तहत एक नया रोजगार अनुबंध शुरू किया है। इसके बावजूद 26 लाख भारतीयों सहित लाखों कम वेतन वाले प्रवासियों के लिए चिंता कम नहीं हो रही है। दरअसल कागज पर घोषित ये स्वतंत्रता अभी तक जमीन पर नहीं पहुंची पाई है।
अभी भी फंसे भारतीयहाल ही में सोशल मीडिया पर एक छोटा वीडियो सामने आया था, जिसमें एक आदमी भोजपुरी में बात कर रहा था। उसके पीछे एक ऊंट और रेगिस्तान को देखा जा सकता है। इस क्लिप में वह मदद की गुहार लगाते हुए कह रहा था कि उसे सऊदी अरब में उसकी इच्छा के विरुद्ध रखा गया है। इस शख्स को उसका कफील (नियोक्ता) वापस नहीं जाने दे रहा है।
वीडियो में यह शख्स कह रहा है, 'मेरा गांव इलाहाबाद में है। मैं सऊदी अरब आया था। अब मेरे कफील ने मेरा पासपोर्ट रख लिया है। मैंने उससे कहा कि मुझे घर जाना है लेकिन वह मेरा पासपोर्ट नहीं दे रहा और मुझे जान से मारने की धमकी दे रहा है। मेरी मदद करें, वरना मैं यहीं मर जाऊंगा।' इस वीडियो से पता चलता है कि कफाला अभी जमीन पर खत्म नहीं हुआ है।
क्या है कफालाअरब देशों में बीते कई दशकों से कफाला सिस्टम भारतीयों के लिए बड़ी परेशानी का सबब रहा है। इसकी वजह से अरब में काम करने के लिए जाने वाले लाखों भारतीयों को मूल मानवाधिकारों से वंचित होना पड़ता है। कफाला में कामगारों को अरब देशों में बंधक की तरह रहने पर मजबूर कर देता है। सऊदी में इसके खत्म होने से भारत, पाकिस्तान जैसे देशों के लोगों ने खासतौर से राहत की सांस ली है। हालांकि अभी जमीन पर इसके असर का इंतजार है।





