भारतीय संस्कृति में भोजन को शरीर के लिए न केवल एक आवश्यकता माना जाता है, बल्कि एक पवित्र कार्य भी माना जाता है। हमारे घरों में जिस स्थान पर भोजन तैयार किया जाता है, यानी 'रसोई' को अन्नपूर्णा माता का स्थान माना जाता है। इसलिए यहाँ स्वच्छता और आदर का विशेष महत्व है। आजकल कई बार लोग समय की कमी या आदत के कारण चप्पल या जूते पहनकर भोजन करने बैठ जाते हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार ऐसा करना उचित नहीं माना जाता। आइए जानते हैं इसके पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक कारण।धार्मिक एवं वास्तु दृष्टि: हिंदू संस्कृति में भोजन को 'माँ अन्नपूर्णा' का स्वरूप माना जाता है। इसलिए भोजन करते समय चप्पल पहनना देवी का अपमान माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, चप्पल-जूते बाहर से नकारात्मक ऊर्जा लेकर घर में प्रवेश करते हैं। खासकर रसोई या भोजन क्षेत्र में, ऐसी नकारात्मक ऊर्जा शांति और समृद्धि में बाधा उत्पन्न करती है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जूते-चप्पल राहु और शनि ग्रह से संबंधित हैं। यदि कोई व्यक्ति भोजन करते समय चप्पल पहनता है, तो वह ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को आमंत्रित करता है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक तंगी, तनाव और असंतुलन हो सकता है।वैज्ञानिक कारण: चप्पल और जूते दिन भर सड़क की धूल, गंदगी, कीटाणुओं और जीवाणुओं के संपर्क में आते हैं। जब हम इन्हें पहनकर खाना खाते हैं, तो ये अशुद्ध कण और जीवाणु भोजन के आसपास फैल सकते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा है। बच्चे और बुजुर्ग विशेष रूप से संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए खाने से पहले हाथ-पैर धोना और चप्पलों को दूर रखना स्वच्छता की दृष्टि से सर्वोत्तम माना जाता है।अग्नि और भोजन का सम्मान: रसोई अग्नि और भोजन का स्थान है। वहाँ चप्पल पहनकर जाना या भोजन करना अग्नि देवता और देवी अन्नपूर्णा का अपमान माना जाता है। इसलिए भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोकर साफ-सुथरे ढंग से ज़मीन पर बैठना धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।आराम और स्वास्थ्य: ज़मीन पर पालथी मारकर बैठकर भोजन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और शरीर आरामदायक स्थिति में रहता है। चप्पल पहनकर बैठने से वह आराम कम हो जाता है, जिससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है।चप्पल-जूते पहनकर भोजन न करना न केवल एक धार्मिक मान्यता है, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। यह परंपरा वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता, दोनों को समेटे हुए है और हमारे जीवन में पवित्रता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाती है।
You may also like

Rajpur Seat: बिहार के राजपुर में 40 साल बाद मिली थी कांग्रेस को दूसरी जीत, इस बार जदयू के पास बदला लेने का मौका?

23 वीं मंजिल से गिरकर 60 वर्षीय महिला की मौत, जांच में जुटी पुलिस

ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज को विश्वस्तरीय स्वरूप देने के लिए प्रावधानों को प्रस्ताव में करें शामिल

मप्र में हर मतदाता का होगा वेरिफिकेशन, एसआईआर को लेकर दिए गए आवश्यक निर्देश

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर रोहित का दबदबा: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी तीन सर्वश्रेष्ठ वनडे पारियाँ




