देशभर में नए हाईवे और एक्सप्रेसवे बन रहे हैं, और इसी के साथ टोल टैक्स की वसूली भी बढ़ रही है। हर वाहन चालक की कोशिश होती है कि वे टोल बूथ पर ज्यादा समय बर्बाद न करें और सुगमता से यात्रा पूरी करें। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक नया नियम लागू किया है, जो टोल लाइन में फंसे यात्रियों के लिए किसी राहत से कम नहीं।
NHAI का नया नियम: 100 मीटर की लाइन तो टोल टैक्स फ्री!NHAI ने यह स्पष्ट किया है कि अगर टोल बूथ पर वाहनों की लाइन 100 मीटर से अधिक हो जाती है, तो उन वाहनों को बिना टोल टैक्स वसूले आगे बढ़ने दिया जाएगा। इसका उद्देश्य है:
- लंबी कतारों को खत्म करना
- यातायात का प्रवाह बनाए रखना
- लोगों के समय और ईंधन की बचत
इस नियम को लागू करने के लिए हर टोल लेन में बूथ से 100 मीटर की दूरी पर एक पीली रेखा (Yellow Line) खींची जाती है। जैसे ही वाहनों की कतार इस रेखा को पार कर जाती है, NHAI निर्देश देता है कि उस लाइन के वाहन से टोल टैक्स ना लिया जाए। जब कतार 100 मीटर के अंदर आ जाती है, तब फिर से सामान्य टोल टैक्स वसूली शुरू हो जाती है।
टोल भुगतान सिर्फ 10 सेकंड में हो, वरना फ्री एंट्रीNHAI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि किसी भी टोल लेन पर टोल भुगतान की प्रक्रिया 10 सेकंड से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि प्रक्रिया इससे ज्यादा समय लेती है, तो यह यूजर के अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा।
पीक ऑवर के दौरान, जब ट्रैफिक अधिक होता है, उस समय भी यह नियम सख्ती से लागू किया जाएगा। इसके लिए टोल ऑपरेटर्स को निर्देशित किया गया है कि वे लेन की लंबाई को नियंत्रित करें।
क्या है 60 किलोमीटर दूरी का नियम?फी रूल 2008 के अनुसार, केंद्र सरकार ने तय किया है कि दो टोल प्लाजा के बीच न्यूनतम दूरी 60 किलोमीटर होनी चाहिए। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी बार-बार यह स्पष्ट किया है कि सरकार का उद्देश्य है कि किसी भी हाईवे पर हर 60 किलोमीटर में केवल एक ही टोल प्लाजा हो।
हालांकि कुछ अपवाद भी हैं:- यदि स्थान की कमी हो
- ट्रैफिक ज्यादा हो
- सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहती हो
तो 60 किलोमीटर से कम दूरी पर भी दो टोल प्लाजा बनाए जा सकते हैं। लेकिन यह नियम सामान्यतः लागू रहता है।
रोड टैक्स और टोल टैक्स में क्या फर्क है?कई बार लोग रोड टैक्स और टोल टैक्स को लेकर भ्रम में रहते हैं, जबकि दोनों बिल्कुल अलग हैं:
1. रोड टैक्स:- इसे वाहन खरीदते समय राज्य सरकार को RTO के माध्यम से एक बार या वार्षिक रूप से अदा किया जाता है।
- इसका उद्देश्य है राज्य की सामान्य सड़कों की देखभाल और सुविधा।
- यह विशेष रूप से हाईवे और एक्सप्रेसवे पर यात्रा के दौरान लिया जाता है।
- इसे NHAI या निजी सड़क निर्माण कंपनियां वसूलती हैं।
- इसका उद्देश्य सड़क निर्माण, रखरखाव और पुनर्निर्माण की लागत को वसूलना है।
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