गाने किसी भी फिल्म की जान होते हैं। कई फिल्में केवल अपने संगीत और गानों के कारण ही हिट हुई हैं। खुशी और गम के समय में भी लोग फिल्मी गाने सुनकर अपना मूड हल्का कर लेते हैं। गाने हमें नई ऊर्जा देते हैं। दुखांत, रोमांटिक, उत्साहपूर्ण और देशभक्तिपूर्ण गीत लोगों को अलग ऊर्जा का एहसास कराते हैं। कुछ गाने ऐसे होते हैं जो लोगों को किसी की याद दिलाते हैं और उनके घावों पर मरहम लगाते हैं। कुछ गाने ऐसे होते हैं जो दर्द कम कर देते हैं। लेकिन एक गाना ऐसा है जो हर तरह से दुखद है। इसे दुनिया का सबसे अशुभ गाना कहा जाता है। इस गाने ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली।
यह गाना ऐसा है कि लोग इसे सुनकर आत्महत्या कर लेते थे। हाउस स्टफ वर्क वेबसाइट के अनुसार, ग्लूमी संडे गीत दुनिया का सबसे अशुभ गीत है। यह गीत रेज़ो सेरेस और लास्ज़लो द्वारा लिखा गया था। 1933 में लिखा गया यह गीत 1935 में रिलीज़ हुआ और उसी साल इसे सुनने के बाद एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। इस व्यक्ति ने अपने सुसाइड नोट में इस गीत का उल्लेख किया था। वहीं, कहा जाता है कि इस गाने के संगीतकार की मंगेतर ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। 1968 में इस गीत के लेखक रेज़ो ने भी आत्महत्या कर ली। गाना सुनने के बाद दो लोगों ने खुद को गोली मार ली और एक महिला ने पानी में कूदकर आत्महत्या कर ली। इन सबके बाद इस गाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
इस गाने में क्या है?
जब इस गीत का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि यह एक हंगेरियन गीत है। जिस समय यह गीत रिलीज़ हुआ, उस समय हंगरी में अधिकांश लोग तनाव से ग्रस्त थे। लोग वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे और उन्हें अपनी कंपनियों से भी निकाला जा रहा था। ऐसे में इस गीत के शब्द और चित्र उनकी जिंदगी से जुड़ने लगे और इससे वह और भी दुखी हो गए। यह गीत मानवता, जीवन की आपाधापी, रोजमर्रा के दुखों और उसमें शामिल मौतों के बारे में बात करता है।
The post first appeared on .
You may also like
राजस्थान के इस जिलें मे खनन माफिया बेख़ौफ़! बॉर्डर होमगार्ड का अपहरण कर जंगल में ले जाकर बुरी तरह पीटा, जानिए पूरा मामला
प्रह्लाद जोशी ने की कर्नाटक में छात्रों से पवित्र धागा उतरवाने की निंदा, बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर भी जताई चिंता
हिसार : हरियाणा कृषि विवि की उन्नति सभी कर्मचारियों की मेहनत का परिणाम : प्रो. बीआर काम्बोज
एचआरटीसी को आत्म निर्भर बनाने के लिए उठाए जा रहे ठोस कदम : अजय वर्मा
फार्मासिस्ट रेगुलेशन 2015 उप्र में लागू करवाने काे हम संघर्ष करेंगे : संदीप बडोला