किरायेदारों से संपत्ति पर कब्जे से बचना है जरूरी, जानिए ‘एडवर्स पजेशन’ कानून और इससे बचाव के उपाय रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं: किराए की रसीदें रखें: संपत्ति की नियमित निगरानी करें: लिखित सहमति लें:
आजकल संपत्ति पर अवैध कब्जे के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। घर, दुकान या जमीन जैसे अचल संपत्तियों को भले ही चोरी नहीं किया जा सकता, लेकिन कब्जा करके इन पर अधिकार जताया जा सकता है। खासकर जब कोई व्यक्ति सालों तक किसी की प्रॉपर्टी पर बना रहता है, तो एडवर्स पजेशन (Adverse Possession) कानून के तहत वह कानूनी हक भी जता सकता है।
क्या है एडवर्स पजेशन?एडवर्स पजेशन एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक बिना आपत्ति के किसी संपत्ति पर कब्जा किए रहता है, तो वह उस संपत्ति पर स्वामित्व का दावा कर सकता है।
- यह प्रावधान ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत आता है।
- यह कानून सरकारी संपत्तियों पर लागू नहीं होता।
- कई बार भू-स्वामियों को अपनी संपत्ति सिर्फ इस वजह से गंवानी पड़ी है कि उन्होंने समय रहते उचित कानूनी कदम नहीं उठाए।
किरायेदार यदि लंबे समय तक एक ही संपत्ति में बिना रेंट एग्रीमेंट के रह रहा है, तो वह बाद में दावा कर सकता है कि वह संपत्ति उसी की है।
- बहुत से मकान मालिक लिखित करार (Rent Agreement) नहीं बनाते या उसे समय पर नवीनीकृत नहीं करते हैं, जो भविष्य में विवाद की जड़ बन सकता है।
- ऐसे मामले एडवर्स पजेशन के दायरे में आ सकते हैं।
- हर बार 11 महीने के लिए रेंट एग्रीमेंट बनाएं और इसे समय पर नवीनीकृत करें।
- इसमें किराया, रहने की अवधि, शर्तें, और मकान मालिक के अधिकार स्पष्ट होने चाहिए।
- हर महीने किराया लेने के प्रमाण जैसे बैंक ट्रांजैक्शन या रसीदें सुरक्षित रखें।
- यह दिखाने में मदद करेगा कि संपत्ति केवल किराए पर दी गई थी।
- मकान मालिक को समय-समय पर संपत्ति का निरीक्षण करना चाहिए।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि किरायेदार किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न कर रहा हो।
- यदि किसी रिश्तेदार या परिचित को संपत्ति दी है, तो भी लिखित करार और समयसीमा तय करें।
- मौखिक सहमति से विवाद की संभावना अधिक होती है।
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