नई दिल्ली। सरकारी आवास में कैश जलने के मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के लिए नई मुश्किल खड़ी हो सकती है। 3 जजों की कमेटी की जांच में मामला सही पाए जाने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। वकील मैथ्यूज नेदुम्परा और 3 अन्य की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि जस्टिस यशवंत वर्मा पर तत्काल आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए। याचिका में दलील दी गई है कि जजों की कमेटी ने कैश जलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दाखिल याचिका में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो जांच कराई, उसके आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई हो सकती है। याचिका में कहा गया है कि अनुशासन संबधी कार्रवाई आपराधिक जांच का विकल्प नहीं हो सकती। ताजा याचिका दाखिल करने वालों ने कैश जलने के मामले का खुलासा होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बिठाई जांच को चुनौती दी थी और पुलिस जांच की मांग की थी। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच चल रही है। इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने आंतरिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने जांच की रिपोर्ट राष्ट्रपति और पीएम को भेजी थी।
जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लगी थी। आग बुझाने के बाद वहां बड़ी तादाद में जला हुआ कैश मिला था। इसका वीडियो मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने बनाया और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को भेजा था। जिसके बाद पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को जानकारी दी थी। उन्होंने तब सीजेआई रहे संजीव खन्ना को घटना के बारे में बताया। संजीव खन्ना ने तब जस्टिस डीके उपाध्याय से प्रारंभिक जांच कराई। प्रारंभिक जांच में जस्टिस यशवंत वर्मा ने खुद के खिलाफ साजिश रचे जाने की आशंका जताई। उनका कहना था कि आग बुझने के बाद परिवार के लोगों और स्टाफ को मौके पर जला कैश नहीं दिखा। फिर सीजेआई रहे संजीव खन्ना ने 3 जजों की जांच कमेटी बनाई और जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था।
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