तेहरान। ईरान की सरकार ने अगर अपने यहां की संसद में पारित प्रस्ताव को लागू करने का फैसला किया, तो इससे उसके परमाणु कार्यक्रम का विवाद और गहरा सकता है। दरअसल, ईरान की संसद में प्रस्ताव पारित हुआ है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ ईरान अब सहयोग नहीं करेगा। अब तक ईरान की सरकार अपने परमाणु संयंत्रों तक आईएईए के इंस्पेक्टरों को पहुंचने देता रहा है। साथ ही आईएईए ने ईरान के परमाणु संयंत्रों में ऐसे यंत्र भी लगाए हैं, जिनसे लगातार ये निगरानी रखी जाती है कि वो कहीं परमाणु हथियार के लिए ईंधन तो नहीं बना रहा। ईरान की संसद से आईएईए की जांच के खिलाफ जो प्रस्ताव पास हुआ है, उसे सुप्रीम काउंसिल की मंजूरी मिलने पर ही लागू किया जा सकता है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई।ईरान ने हमेशा यही कहा है कि वो परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी पर दस्तखत कर चुका है। साथ ही ईरान की सरकार का ये भी कहना है कि आईएईए लगातार उसके परमाणु संयंत्रों की जांच करता रहा है। ईरान ने हमेशा इससे इनकार किया है कि वो परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है। जबकि, इजरायल और अमेरिका उस पर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश का आरोप लगातार लगाते रहे हैं। करीब डेढ़ हफ्ते पहले इजरायल ने ईरान पर यही आरोप लगाकर हमले की शुरुआत की थी कि इस्लामी देश परमाणु हथियार बनाने के करीब है। ईरान ने भी इजरायल के हमलों का जवाब मिसाइलों की झड़ी लगाकर दिया। जिसके बाद डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिका की वायुसेना ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु संयंत्रों पर भारी बमबारी की थी। ट्रंप ने दावा किया है कि इस बमबारी से ईरान का परमाणु कार्यक्रम बिल्कुल खत्म कर दिया गया है।
वहीं, ईरान ने ट्रंप के दावे को गलत बताया है। ईरान का दावा है कि उसके परमाणु कार्यक्रम को कोई नुकसान नहीं हुआ है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से कहा जा रहा है कि परमाणु कार्यक्रम को नुकसान न पहुंचने का ईरान का दावा सही है। खास बात ये भी है कि अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने सार्वजनिक तौर पर ये माना है कि उनके देश को नहीं पता कि ईरान का संवर्धित यूरेनियम आखिर कहां है? इस वजह से भी ट्रंप के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि, इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतनयाहू भी यही दावा कर रहे हैं कि तीन परमाणु संयंत्रों पर अमेरिका की बमबारी से ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म हो चुका है।
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