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तेलंगाना में BRS पार्टी में के कविता के दौरे से बढ़ी सियासी हलचल

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BRS पार्टी में चल रही सियासी उठापटक

तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) पार्टी के भीतर हालात ठीक नहीं हैं। पार्टी की प्रमुख नेता और पूर्व सांसद के कविता के हालिया दौरे ने राजनीतिक गतिविधियों को तेज कर दिया है। हाल ही में मेडक जिले के शमीरपेट दौरे के बाद, के कविता शुक्रवार को मंचिर्याला पहुंचीं, जिससे पार्टी में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।


कविता के दौरे पर उठ रहे सवाल

बीआरएस में के कविता के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच उनके जिलावार दौरे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के अंदरूनी हलकों में चर्चा है कि कविता सभी जिलों का दौरा करने की योजना बना रही हैं, जिसका उद्देश्य जमीनी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करना है।


कविता के दौरे की राजनीतिक अहमियत

पार्टी के सूत्रों के अनुसार, कविता के दौरे को पार्टी नेतृत्व द्वारा ध्यान से देखा जा रहा है, खासकर जब उन्होंने हाल ही में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती रुख अपनाया था। उनके इस रुख के बाद से उनके दौरे राजनीतिक हलकों में महत्वपूर्ण बन गए हैं। मंचिर्याला के दौरे के बाद, पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कविता को धीरे-धीरे पार्टी से अलग किया जा रहा है।


भाई-बहन के बीच बढ़ता मतभेद

तेलंगाना में BRS के भीतर एक गंभीर राजनीतिक संकट उभर रहा है, जिसमें पार्टी प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (KCR) की बेटी के कविता और उनके बेटे केटी रामाराव (KTR) के बीच मतभेद स्पष्ट हो रहे हैं। के कविता ने आरोप लगाया है कि जब वह दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में थीं, तब कुछ वरिष्ठ नेताओं ने BRS को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में विलय करने की योजना बनाई थी।


कविता का अप्रत्यक्ष निशाना

कविता ने अपने भाई KTR पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी को केवल सोशल मीडिया के माध्यम से नहीं चलाया जा सकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ नेता उन्हें पार्टी से बाहर करने की साजिश कर रहे हैं।


कविता का लीक हुआ पत्र

कविता ने अपने पिता KCR को 6 पन्नों का पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने पार्टी की कार्यप्रणाली पर चिंता व्यक्त की थी। यह पत्र लीक हो गया, जिससे उन्होंने पार्टी के अंदरूनी लोगों पर विश्वासघात का आरोप लगाया।


क्या के कविता बनाएंगी नई पार्टी?

कविता ने संकेत दिया है कि यदि पार्टी के भीतर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वह अपनी नई राजनीतिक पार्टी बना सकती हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी निष्ठा अभी भी BRS और उनके पिता KCR के प्रति है।


परिवार में राजनीतिक बखेड़ा

चंद्रशेखर राव ने अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन के दौरान अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी। 2014 में अलग तेलंगाना राज्य बनने के बाद, वे राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन जब से कविता को हैदराबाद लौटना पड़ा, तब से परिवार में राजनीतिक वर्चस्व के लिए संघर्ष शुरू हो गया।


कविता के समर्थकों का असंतोष

कविता के समर्थकों में असंतोष देखा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। अब सवाल यह है कि कविता आगे क्या कदम उठाएंगी? क्या वह अपनी अलग राजनीतिक राह बनाएंगी या पार्टी के भीतर अपनी ताकत साबित करेंगी?


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