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सूर्य देव की आराधना: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का महत्व और लाभ

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सूर्य देव की पूजा का महत्व


ज्योतिष: सनातन धर्म में सूर्य को पंच देवों में से एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसे कलयुग में एकमात्र दृश्य देवता माना जाता है। सूर्य की आराधना को अत्यंत शुभ माना जाता है, और वेदों में इसे जगत की आत्मा कहा गया है।


सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर रविवार के दिन। मान्यता है कि इस दिन सूर्य की आराधना करने से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।


आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं, जैसे नौकरी में पदोन्नति, धन की प्राप्ति, और आत्मविश्वास में वृद्धि। यह स्तोत्र हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाला माना जाता है।


सुबह की शुरुआत अच्छी हो, इसके लिए सूर्य देव की आराधना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार, रविवार को इस स्तोत्र का पाठ करने से दिनभर की शांति और प्रसन्नता बनी रहती है।


आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ

आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ:


यह स्तोत्र ऋषि अगस्त्य द्वारा जप किया गया है। इसमें भगवान ब्रह्मा और अन्य देवताओं का उल्लेख है।


इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को युद्ध में विजय प्राप्त होती है और सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्ति मिलती है।


सूर्य देवता की आराधना से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।


सूर्य मंत्र और पूजा विधि

प्रतिदिन सूर्य पूजन और मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ होता है। पंडित शर्मा के अनुसार, यदि उच्चारण सही हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।


आप किसी भी एक मंत्र का जाप कर सकते हैं, जैसे:



  • ओम हरीम हरीम सूर्य नामस।

  • ओम हरीम हरीम सूर्य अया सहशरखिरानाय मनोसंचम डे मी डे स्वाहा।

  • ओम अइहि सूर्या सहसरनशोन तेजो राश जगातपेट, अनुकम्पायमम भाकती, ले लो द सन, द सन।

  • ओम हरीम गरीह सूर्य आदित्य क्लिम ओम।

  • ओम घेरिनम सूर्या: आदित्य।

  • हर रोज आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।


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