उत्तराखंड का श्रीखंड महादेव धाम, पंच कैलाश में से एक माना जाता है। हर साल जुलाई में, श्रद्धालु इस कठिन यात्रा पर निकलते हैं, जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है। यह यात्रा कैलाश मानसरोवर की यात्रा के समान होती है, जिसमें पहले पंजीकरण और मेडिकल जांच आवश्यक होती है। श्रीखंड महादेव की यात्रा भारत की सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक मानी जाती है।
कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ
यह यात्रा विशेष रूप से बरसात के मौसम में शुरू होती है, जिससे तीर्थयात्रियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लगभग 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा में, श्रद्धालुओं को बर्फ से ढके रास्तों और ऊंचाई के कारण ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है। रास्ते में कई झरने और खतरनाक क्षेत्र होते हैं, जिन्हें पार करना बहुत कठिन होता है। इसे अमरनाथ यात्रा से भी अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि अमरनाथ की ऊंचाई 14,000 फीट है, जबकि श्रीखंड महादेव की ऊंचाई लगभग 18,570 फीट है।
यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव
श्रीखंड महादेव यात्रा की शुरुआत जाओं गांव से होती है, जहां माता पार्वती का मंदिर है। इसके बाद तीर्थयात्री परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर, जोताकली, बकासुर वध स्थल, ढंक द्वार, भीम द्वार और नैन सरोवर जैसे पवित्र स्थलों का दर्शन करते हैं।
विशेष रूप से ढंक द्वार का धार्मिक महत्व है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए यहां समाधि लगाई थी। भीम द्वार पर भी मान्यता है कि पांडवों में से भीम ने यहां तपस्या की थी और उनके पैरों के निशान आज भी देखे जा सकते हैं।
पौराणिक कथा
एक प्राचीन कथा के अनुसार, भस्मासुर नामक असुर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। शिव जी ने उसे वरदान दिया कि जो भी उसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। इस वर का दुरुपयोग करते हुए भस्मासुर ने देवताओं पर आक्रमण किया, लेकिन अंततः भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर उसे नृत्य में व्यस्त किया और वह खुद अपने हाथ को सिर पर रखकर भस्म हो गया।
कहा जाता है कि इस घटना के बाद भस्मासुर का अंत श्रीखंड महादेव के पास हुआ, इसलिए यहां की मिट्टी और पानी दूर से लाल रंग के दिखते हैं।
नैन सरोवर का महत्व
श्रीखंड महादेव की यात्रा से लगभग 3 किलोमीटर पहले नैन सरोवर आता है। मान्यता है कि जब भगवान शिव भस्मासुर से छिपकर समाधि में थे, तब माता पार्वती उनकी चिंता में रोईं और उनके आंसुओं से नैन सरोवर बना। यह झील तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र स्थान है।
पांडवों का संबंध
श्रीखंड महादेव का पांडवों से गहरा संबंध है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान पांडवों ने यहां निवास किया था। भीम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भीम द्वार पर उनकी गुफा और पैर के निशान आज भी मौजूद हैं।
निष्कर्ष
श्रीखंड महादेव यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह तीर्थयात्रियों की धैर्य और साहस की भी परीक्षा है। यहां की पौराणिक कथाएं, प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक माहौल इसे एक अद्वितीय तीर्थ स्थल बनाते हैं। यदि आप एक कठिन लेकिन आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव लेना चाहते हैं, तो श्रीखंड महादेव धाम की यात्रा आपके लिए एक अनमोल अनुभव साबित होगी।
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