22 जून 2025 का पंचांग: आज आषाढ़ माह का बारहवां दिन है, जो कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है। दिन की लंबाई 13 घंटे 58 मिनट 10 सेकंड और रात की लंबाई 10 घंटे 2 मिनट 4 सेकंड होगी। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रीष्म ऋतु का समय है और सूर्य उत्तरायण में गोचर कर रहे हैं।
आइए जानते हैं कि 22 जून के पंचांग के पांच अंग - तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण की स्थिति क्या है। आज का कौन-सा समय आपके लिए शुभ है और राहु काल का समय क्या है?
तिथि
आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है, जो 23 जून की 01:21 AM तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। द्वादशी तिथि भगवान विष्णु की होती है और इसे शुभ मुहूर्तों में माना जाता है।
नक्षत्र
आज का दिन भरणी नक्षत्र से शुरू होगा, जो 22 जून की 05:38 PM तक रहेगा। यह एक शुभ नक्षत्र है, इसके बाद कृत्तिका नक्षत्र का आरंभ होगा।
दिन/वार
आज रविवार है, जो सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
योग
आज का दिन सुकर्मा योग से शुरू होगा, जो 22 जून की 04:57 PM तक रहेगा। इसके बाद धृति योग का आरंभ होगा। आज त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, जो इस दिन को विशेष बनाता है।
करण
आज 02:56 PM तक कौलव करण रहेगा, इसके बाद तैतिल करण शुरू होगा, जो 23 जून की 01:21 AM तक रहेगा।
सूर्य-चंद्र गोचर
आज सूर्य मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं, जबकि चंद्रमा मेष राशि में हैं और 11:03 PM तक वहीं रहेंगे।
शुभ-अशुभ काल आज के शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: 04:04 AM से 04:44 AM
प्रातः सन्ध्या: 04:24 AM से 05:24 AM
अभिजित मुहूर्त: 11:55 AM से 12:51 PM
विजय मुहूर्त: 02:43 PM से 03:39 PM
गोधूलि मुहूर्त: 07:21 PM से 07:41 PM
सायाह्न सन्ध्या: 07:22 PM से 08:22 PM
अमृत काल: 01:16 PM से 02:44 PM
निशिता मुहूर्त: 12:03 AM, जून 23 से 12:43 AM, जून 23
त्रिपुष्कर योग: 05:38 PM से 01:21 AM, जून 23
आज के अशुभ मुहूर्त:
राहुकाल: 05:38 PM से 07:22 PM
यमगण्ड: 12:23 PM से 02:08 PM
गुलिक काल: 03:53 PM से 05:38 PM
दुर्मुहूर्त काल: 05:31 PM से 06:26 PM
विष घटी/वर्ज्य काल: 04:27 AM, जून 23 से 05:54 AM, जून 23
22 जून 2025 के पर्व और त्योहार
आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है और यह रविवार है। यह दिन सूर्यदेव की उपासना के लिए विशेष है। इस दिन पूजा करने से मान-सम्मान और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
आज की यात्रा टिप्स: पश्चिम दिशा में यात्रा करना शुभ नहीं है।
पंचांग का महत्व
पंचांग केवल तिथियों का कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह जीवन को सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है। यह ब्रह्मांड की प्राकृतिक लय के अनुसार चलने की प्रेरणा देता है।
पंचांग के पांच प्रमुख अंग:
वार: सप्ताह के दिनों का महत्व बताता है।
तिथि: चंद्र मास के अनुसार दिन की गणना।
नक्षत्र: विशिष्ट नक्षत्रों की स्थिति।
योग: खगोलीय संयोगों का महत्व।
करण: आधे तिथि का सूचक।
पंचांग का अनुसरण करके हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
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