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पाकिस्तान का हिंगलाज माता मंदिर: देवी सती का चमत्कारी शक्तिपीठ

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हिंगलाज माता मंदिर का महत्व

Hinglaj Mata Mandir: भारत में देवी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन पाकिस्तान में भी एक अद्भुत शक्तिपीठ है, जिसे देवी सती के सिर गिरने का स्थान माना जाता है। यह मंदिर न केवल हिंदू आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, बल्कि स्थानीय पाकिस्तानी लोग भी इसे श्रद्धा से पूजते हैं।


हिंगलाज माता मंदिर का स्थान

यह शक्तिपीठ बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है और इसे हिंगलाज माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। हिंगोल नेशनल पार्क के निकट स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक मान्यताओं का अनोखा संगम है। देवी सती को समर्पित यह स्थल भारत के बाहर के तीन शक्तिपीठों में से एक है, जिनमें अन्य दो हैं - शिवाहरकराय और शारदा पीठ।


कहां बना हिंगलाज शक्तिपीठ

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के अपमान से दुखी होकर यज्ञ कुण्ड में आत्मदाह कर लिया, तब भगवान शिव उनका शव लेकर भटकने लगे। ब्रह्मांड की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को खंडित किया। कहा जाता है कि जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। हिंगलाज माता मंदिर वही स्थान है जहां सती का सिर गिरा था, इसलिए इसे चमत्कारी और सिद्ध स्थल माना जाता है।


नानी मां के नाम से प्रसिद्ध

स्थानीय लोग इस मंदिर को 'हिंगलाज भवानी' या 'नानी मां' के नाम से भी जानते हैं। यह बलूचिस्तान की हिंगोल नदी के किनारे चंद्रकोट पर्वत की तलहटी में एक छोटी गुफा में स्थित है। यहां देवी की पूजा एक शिला के रूप में की जाती है, जिसे अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।


200 साल पुराना मंदिर

यह मंदिर 200 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद वे देवी के दर्शन कर नारियल, फूल और गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करते हैं। यह स्थल दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य अनुभव का केंद्र बन चुका है।


अंगारों पर चलकर दर्शन की प्रथा

इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि श्रद्धालु कभी 10 फीट लंबी अंगारों की सड़क पर नंगे पांव चलकर देवी के दर्शन करते थे, जिससे उनकी हर मनोकामना पूरी होती थी। हालांकि अब यह प्रथा समाप्त हो चुकी है, लेकिन श्रद्धा और विश्वास में कोई कमी नहीं आई है।


हिंगलाज यात्रा का आयोजन

हर साल वसंत ऋतु में यहां एक विशाल हिंदू त्योहार हिंगलाज यात्रा के रूप में मनाया जाता है। इस धार्मिक आयोजन में पाकिस्तान और अन्य देशों से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। बलूचिस्तान के कठिन रास्ते और गर्म मौसम के बावजूद, आस्था की शक्ति श्रद्धालुओं को यहां खींच लाती है।


विशेष बात यह है कि पाकिस्तान में होने के बावजूद इस मंदिर की देखरेख स्थानीय बलूच समुदाय करता है। वे इसे केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक 'चमत्कारी शक्ति का केंद्र' मानते हैं।


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