इंटरनेट डेस्क। पिछले कुछ समय से बुलडोजर एक्शन चर्चाओं में रहा है। सबसे ज्यादा चर्चा बुलडोजर एक्शन की यूपी में रही है। ऐसे में पिछले लगभग दो महीने पहलेने इस पर रोक लगा दी थी। अब आज सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी का घर तोड़ना या गिरा देना कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी मामले में आरोपी होने या दोषी ठहराए जाने पर भी घर तोड़ना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमने विशेषज्ञों के सुझावों पर विचार किया है हमने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया है।
क्या कहा कोर्ट ने
मीडिया रिपोटर्स की माने तो इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जरूरी है कि कानून का राज होना चाहिए, बुलडोजर एक्शन पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता, गलत तरीके से घर तोड़ने पर मुआवजा मिलना चाहिए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बुलडोजर एक्शन का मनमाना रवैया बर्दाश्त नही होगा। अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते। अगर किसी मामले में आरोपी एक है तो घर तोड़कर पूरे परिवार को सजा क्यों दी जाए? पूरे परिवार से उनका घर नहीं छीना जा सकता। बुलडोजर एक्शन दरअसल कानून का भय नहीं होने को दर्शाता है।
घर सपने की तरह होता हैंःएससी
मीडिया रिपोटर्स की माने तो कोर्ट ने इससे पहले फैसला पढ़ते हुए कहा था कि घर एक सपने की तरह होता है। किसी का घर उसकी अंतिम सुरक्षा होती है। आरोपी के मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हो सकते। सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं है किसी भी आरोपी का घर नहीं गिरा सकते। कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर दिशानिर्देशों का जिक्र करते हुए कहा है कि बुलडोजर एक्शन को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए। नोडिल अधिकारी को 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा। नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए। यह नोटिस निर्माण स्थल पर चस्पा भी होना चाहिए। इस नोटिस को डिजिटल पोर्टल पर डालना होगा।
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