ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को बहुत ही खास माना जाता है जो कि प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की साधना आराधना को समर्पित दिन होता है इस दिन भक्त गणपति की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार हर माह की चतुर्थी भगवान गणेश्ख को समर्पित होती है और इस दिन प्रभु की पूजा अर्चना व व्रत का विधान होता है। अभी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जा रहा है इस दिन पूजा अर्चना करना लाभकारी माना जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी का पर्व 20 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। ऐसे में आज हम आपको गणपति की पूजा की सरल विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि—
आपको बता दें कि संकष्ठी चतुर्थी के पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत पूजा का संकल्प करें अब मंदिर की साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद भगवान का जलाभिषेक करें।
फिर पुष्प, फल अर्पित कर पीले रंग का चंदन लगाएं और बेसन के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें। भगवान की पूजा विधिवत करके गणेश आरती करें। फिर चंद्रमा के दर्शन कर चंद्रदेव की पूजा करें उन्हें जल अर्पित करें इसके बाद पूजा में होने वाली भूल चूक के लिए क्षमा जरूर मांगे।
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