राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (RPCC) के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के राजस्थान प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने शुक्रवार को बीएलए (ब्लॉक लेवल एग्जीक्यूटिव) की नियुक्तियों की समीक्षा की। यह बैठक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित की गई, जिसमें बीएलए नियुक्तियों के प्रगति की विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में यह तय किया गया कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में बीएलए की नियुक्ति अब तक पूरी नहीं हो पाई है, वहां के विधायक, चुनावी प्रत्याशी और प्रभारियों से आगामी एक सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट लेकर इस कार्य को शीघ्रता से पूरा करने के निर्देश दिए गए। इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेशभर में बीएलए की नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए रणनीतियों पर भी चर्चा की।
बीएलए नियुक्तियां कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को सशक्त बनाने के लिए अहम कदम मानी जाती हैं। ये नियुक्तियां पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संपर्क को और मजबूत बनाने, विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की उपस्थिति को बढ़ाने और आगामी चुनावों में पार्टी को मजबूती देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
बैठक में प्रदेश कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, एआईसीसी सचिव व सह प्रभारी चिरंजीव राव और ऋत्विक मकवाना भी मौजूद थे। इन नेताओं ने भी बैठक में अपनी-अपनी राय दी और बीएलए नियुक्तियों की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया।
गोविंद सिंह डोटासरा ने इस अवसर पर कहा, "हमारी पार्टी का लक्ष्य हर विधानसभा क्षेत्र में एक मजबूत संगठन खड़ा करना है। बीएलए नियुक्तियां इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो पार्टी के संगठन को और मजबूत बनाएंगी। हम चाहते हैं कि हर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का प्रभाव बढ़े, और आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को बेहतरीन परिणाम मिले।"
सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने भी इस बैठक के दौरान बीएलए नियुक्तियों की समीक्षा की और संबंधित क्षेत्रों में इस कार्य को जल्द पूरा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "यह समय की मांग है कि हम पूरी तरह से सक्रिय रहें और हर स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को सशक्त करें, ताकि हम चुनावी रण में अपनी पूरी ताकत लगा सकें।"
कांग्रेस नेताओं ने यह भी सुनिश्चित किया कि बीएलए की नियुक्तियों में कोई भी असहमति या विघ्न न आए और इसे निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए। इस संबंध में सभी संबंधित नेताओं को निर्देशित किया गया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में कार्यों की नियमित निगरानी करें और यदि कोई समस्या आती है तो उसे तुरंत हल करें।
अब कांग्रेस पार्टी के लिए यह बड़ा सवाल है कि क्या इन नियुक्तियों के बाद पार्टी अपनी संगठनात्मक स्थिति को मजबूत कर पाएगी और आगामी विधानसभा चुनावों में राज्य में सत्ता की ओर अपनी यात्रा बढ़ा सकेगी। आगामी दिनों में यह निर्णय यह तय करेगा कि कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को किस हद तक सक्रिय कर पाती है और उनके सहयोग से पार्टी को चुनावी सफलता मिलती है या नहीं।
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