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सावधान! मां लक्ष्मी की जगह कहीं आप 'अलक्ष्मी' की पूजा तो नहीं कर रहे? इस दुर्लभ वीडियो में जानिए कौन सी चीजें घर में बुलाती हैं दरिद्रता

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हम सभी अपने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव की कामना करते हैं। इसी उद्देश्य से हम नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार हम अनजाने में देवी लक्ष्मी की जगह ‘अलक्ष्मी’ यानी दरिद्रता की देवी को आमंत्रित कर बैठते हैं? यह सुनकर भले ही अजीब लगे, लेकिन यह शास्त्रों में वर्णित एक गंभीर सत्य है कि यदि पूजन विधि में त्रुटि हो, नियमों की अनदेखी हो या वातावरण दूषित हो, तो मां लक्ष्मी की बजाय ‘अलक्ष्मी’ का वास हो सकता है।


कौन हैं 'अलक्ष्मी'?
‘अलक्ष्मी’ को देवी लक्ष्मी की बहन माना जाता है, जो दरिद्रता, क्लेश, कलह, अशांति और अपवित्रता की प्रतीक हैं। जबकि देवी लक्ष्मी धन, वैभव और सौंदर्य की देवी मानी जाती हैं, वहीं अलक्ष्मी का संबंध दारिद्र्य, नकारात्मकता और दुर्भाग्य से है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वच्छता, शांति और श्रद्धा होती है वहां लक्ष्मी निवास करती हैं, और जहां गंदगी, कलह और अपवित्रता होती है वहां अलक्ष्मी प्रवेश करती हैं।

अलक्ष्मी का आगमन किन कारणों से होता है?
गंदगी और अव्यवस्था:

जिस घर में साफ-सफाई नहीं होती, बिस्तर अस्त-व्यस्त रहते हैं, बाथरूम गंदा होता है या कूड़ा घर में जमा रहता है, वहां मां लक्ष्मी का नहीं बल्कि अलक्ष्मी का वास होता है।

नकारात्मक विचार और कलह:
जब घर में सदस्यों के बीच झगड़े, शिकायतें, क्रोध और ईर्ष्या का वातावरण होता है, तो देवी लक्ष्मी उस घर से चली जाती हैं और अलक्ष्मी का प्रवेश होता है।

वाणी की अशुद्धता:
कटु शब्दों का प्रयोग, अपशब्द बोलना, झूठ बोलना या किसी का अनादर करना – यह सब मां लक्ष्मी को अप्रिय है। ऐसी आदतें घर में दरिद्रता को आकर्षित करती हैं।

गलत पूजा विधि या बिना शुद्धि के पूजन:
कई बार हम बिना स्नान किए, अपवित्र वस्त्रों में या गलत समय पर पूजा करते हैं। इससे देवी लक्ष्मी की बजाय अलक्ष्मी का आह्वान हो सकता है।

रात्रि में झूठे बर्तन छोड़ना या झाड़ू को अनादर से रखना:
हिन्दू धर्म में रात को झूठे बर्तन छोड़ना, झाड़ू को पैर लगाना या उसे उल्टा करके रखना अलक्ष्मी को आमंत्रित करता है। झाड़ू को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है।

पूजा करते हुए कौन सी भूलें अलक्ष्मी को बुलाती हैं?
पूजा के समय मन का चंचल और अस्थिर रहना:

यदि आप पूजा के समय मोबाइल चला रहे हैं, ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं या बस औपचारिकता निभा रहे हैं, तो पूजा निष्फल हो सकती है।

गलत मंत्रों का उच्चारण:
मां लक्ष्मी के मंत्रों का सही उच्चारण बेहद आवश्यक है। गलत उच्चारण पूजा का उल्टा प्रभाव भी ला सकता है।

तामसिक चीजों का प्रयोग:
पूजा में लहसुन, प्याज, शराब, मांस या तामसिक प्रवृत्ति की अन्य वस्तुएं रखना अथवा सेवन करना पूरी तरह निषिद्ध है।

कैसे करें सही लक्ष्मी पूजा जिससे दूर रहे अलक्ष्मी?
साफ-सफाई और पवित्रता:

हर शुक्रवार या लक्ष्मी पूजन के दिन घर को विशेष रूप से साफ रखें। मुख्य द्वार और पूजा स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें।

दीपदान और सुगंधित वातावरण:
लक्ष्मी जी को प्रकाश और सुगंध अत्यंत प्रिय है। देसी घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप से घर को सुगंधित करें।

कमल का फूल और लाल चंदन का उपयोग:
मां लक्ष्मी को कमल का फूल और लाल रंग अत्यंत प्रिय होता है। पूजा में इनका प्रयोग करें।

श्रीसूक्त और लक्ष्मी मंत्रों का जाप:
"ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे देवी लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

दान और सेवा:
लक्ष्मी पूजा का सार केवल धन प्राप्त करना नहीं है, बल्कि धन का सदुपयोग भी है। निर्धनों की सेवा और दान से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।

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