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महात्मा ज्योतिबा रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय एवं आईसीएआर- एनबीएफजीआर के बीच सहयोगात्मक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित

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बरेली,30 मई। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू), बरेली तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर), लखनऊ के मध्य कल एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत दोनों संस्थानों द्वारा शैक्षणिक एवं अनुसंधान क्षेत्र में साझेदारी की गई है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह, डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर एस.के. पांडे, प्रोफेसर आलोक श्रीवास्तव तथा डॉ. आभा त्रिवेदी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

समझौते के प्रमुख उद्देश्य:-

1. एमजेपीआरयू द्वारा आईसीएआर-एनबीएफजीआर को अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के अंतर्गत मान्यता प्रदान करना, जिससे एनबीएफजीआर के वैज्ञानिक पीएच.डी. छात्रों के मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकें।
2. पीएच.डी. छात्रों को एनबीएफजीआर में 6 महीने का कोर्सवर्क पूरा करना होगा, जो विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम अनुसार होगा।
3. एमजेपीआरयू के शोधार्थियों को एनबीएफजीआर की प्रयोगशालाओं एवं अनुसंधान सुविधाओं का उपयोग करने का अवसर।
4. जैव प्रौद्योगिकी, आणविक आनुवंशिकी, जैवसूचना विज्ञान, मत्स्य प्रजनन तकनीक, जलीय पारिस्थितिकी संरक्षण आदि क्षेत्रों में संयुक्त शोध परियोजनाएं।
5. संकाय विकास कार्यक्रम, व्याख्यान, प्रशिक्षण एवं शोध प्रकाशन में सहयोग।

लखनऊ ट्रिब्यून से विशेष साक्षात्कार में रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने इस साझेदारी को “शैक्षणिक उत्कृष्टता एवं अनुसंधान को नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम” बताते हुए कहा कि “यह समझौता हमारे छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की शोध सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करेगा तथा मत्स्य विज्ञान के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देगा। एनबीएफजीआर के साथ यह सहयोग विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है।”

इस एमओयू से दोनों संस्थानों के मध्य ज्ञान-आदान-प्रदान एवं तकनीकी सहयोग को बल मिलेगा, जिससे छात्रों तथा शोधार्थियों को लाभ होगा।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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