New Delhi, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) . ‘वंदे मातरम्’ एक ऐसा कालजयी राष्ट्रगीत है जो प्रत्येक Indian को मातृभूमि की भावना से जोड़ता है. यह बात दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष समारोह को संबोधित करते हुए कही. इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा में वंदे मातरम् की पूर्ण रचना अंकित स्मृति पट्टिका का अनावरण किया गया और दिल्ली विधानसभा भवन को तिरंगे के रंगों से आलोकित किया गया, जो भारत की एकता और गौरव का प्रतीक है.
इस दाैरान कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, विधायक संजय गोयल, करनैल सिंह, डॉ. अनिल गोयल और चंदन कुमार चौधरी सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे.
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में स्थापित वंदे मातरम् की स्मृति पट्टिका आने वाले प्रत्येक आगंतुक को इस अमर गीत की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका और इसकी प्रेरक शक्ति की याद दिलाएगी. उन्होंने बताया कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर, 1875 (आश्विन नवमी) के दिन इस गीत की रचना की थी, जब वे ब्रिटिश शासन की यातनाओं और अपमान से व्यथित थे. बाद में यह गीत ‘आनंदमठ’ (1882) उपन्यास में शामिल हुआ, जिसमें साधुओं ने ‘देशभक्ति के धर्म’ का परिचय दिया. तीन रूपों में प्रस्तुत भारत माता – देवी स्वरूप, पीड़ित स्वरूप, और पुनरुत्थान की प्रतीक – भारत की दासता से पुनर्जागरण तक की यात्रा को दर्शाती हैं.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वंदे मातरम् भारत के स्वतंत्रता संग्राम का घोष बन गया, जिसे सर्वप्रथम 1896 के कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ ठाकुर ने गाया. 1905 में बंग-भंग आंदोलन के समय यह गीत समूचे देश में गूंज उठा. उन्होंने कहा कि भगत सिंह की ‘भारत माता की जय’ की पुकार से लेकर मदाम भीकाजी कामा द्वारा बर्लिन में लहराए गए तिरंगे पर अंकित ‘वंदे मातरम्’ तक – यह गीत हर देशभक्त के हृदय की प्रेरणा रहा है. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् किसी राजनीति, धर्म या क्षेत्र का नहीं बल्कि यह 140 करोड़ Indian ों की एकता, गौरव और भावना का प्रतीक है.
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि दिल्ली विधानसभा भवन को तिरंगे रंगों में प्रकाशित कर इस ऐतिहासिक अवसर को मनाया जा रहा है. उन्होंने नागरिकों से ‘वंदे मातरम् के 150 वर्ष’ के वर्षभर चलने वाले उत्सव में सहभागी बनने और इसे एकता व राष्ट्रभक्ति के संकल्प के रूप में अपनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् भारत की शक्ति, साहस और दिव्यता का काव्य रूप है, यह वह अमर गान है जो हमारी आत्मा और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधता है.
विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ प्रत्येक Indian के लिए गर्व का क्षण है, जो हमें स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और आदर्शों की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि यह गीत भारत की सांस्कृतिक एकता और कालातीत भावना का प्रतीक है जो हर पीढ़ी को राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करता है.
कार्यक्रम में साहित्य कला परिषद के कलाकारों द्वारा देशभक्ति गीतों और नृत्य प्रस्तुतियों ने वंदे मातरम् की भावना को सजीव किया. इन मनमोहक प्रस्तुतियों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उस गीत की भावनात्मक शक्ति को उजागर किया जिसने पीढ़ियों को प्रेरणा दी है. इस ऐतिहासिक अवसर पर दिल्ली विधानसभा भवन को तिरंगे के रंगों में प्रकाशित किया गया, जो स्वतंत्रता, गर्व और एकता की भावना का प्रतीक है.
दिल्ली विधानसभा में आयोजित यह उत्सव न केवल बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की अमर रचना को नमन था, बल्कि उस देशभक्ति की भावना को पुनर्जीवित करने का अवसर भी, जो आज भारत की एकता और प्रगति की दिशा में प्रेरणा स्रोत बनी हुई है. यह आयोजन हमें स्मरण कराता है कि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की पहचान की जीवित धड़कन है, जो हमारे राष्ट्रीय संकल्प, सांस्कृतिक गौरव और मातृभूमि के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है.
—————
(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
You may also like

राफेल vs टाइफून? पाकिस्तान के दोस्त ने किया 95,000 करोड़ का जेट समझौता, एक विमान की कीमत उड़ा देगी होश

Current Affairs: मिनटमैन-III मिसाइल परीक्षण से UN जल संधि तक…देखें इस सप्ताह के करेंट अफेयर्स

जहर बन गईं राजस्थान की जीवनरेखाएं! सुप्रीम कोर्ट सख्त, 'निर्णायक रुख' अपनाए भजनलाल सरकार

उपचुनाव 2025: तरनतारन और बडगाम में सत्ताधारी पार्टी का इम्तिहान, उमर अब्दुल्ला और भगवंत मान की साख दांव पर

गुरमीत चड्ढा बोले- सिर्फ शॉर्ट-टर्म नतीजों पर फोकस करेंगे तो हाथ से निकल जाएंगे मल्टीबैगर रिटर्न




