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अशोकनगर: श्रीआनन्दपुर ट्रस्ट में विवादों के चलते दो ट्रस्टी महात्मा निष्कासित

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अशोकनगर,17 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले के प्रसिद्ध आध्यात्मिक केन्द्र श्री परमहंस अद्वैत मत श्रीआनन्दपुर ट्रस्ट में आपसी विवादों के चलते अब फिर चर्चाओं में है। श्री आनन्दपुर ट्रस्ट के दो ट्रस्टी महात्माओं को ट्रस्ट से निष्कासित किया गया है, जो चर्चा का विषय है। दरअसल इसी आनन्दपुर ट्रस्ट में बीते 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन हुआ था, जिसको लेकर श्री आनन्दपुर देश में चर्चाओं में आया था, अब ट्रस्ट में चल रहे आपसी विवादों के कारण आनन्दपुर चर्चाओं में है।

गुरुवार को श्री आनन्दपुर में ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक महात्मा आद अमर आनन्द एवं महात्मा निर्भय ब्रह्मानंद के साथ ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार राजेश कुमार बसंधी ने एक पत्रकारवार्ता में ट्रस्ट के दो अन्य महात्मा विशुद्ध दयाल आनन्द उर्फ रामकुमार एवं महात्मा विशुद्ध ज्ञान आनन्द उर्फ नवनीत को गंभीर कदाचार के आरोपों के साथ ट्रस्ट से निष्कासित करने की बात की।

ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार राजेश कुमार बसंधी ने निष्कासित किए गए महात्माओं पर गंभीर कदाचार, आध्यात्मिक अवज्ञा तथा बाहरी तत्वों विजय कुमार सिक्का और आनन्द खोसला से मिली भगत का दोषी पाये जाने का खुलासा कर बताया कि श्री आनन्दपुर ट्रस्ट के न्यासी मंडल द्वारा गठित अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने निष्पक्ष जांच के बाद पाया कि इन दोनों महात्माओं ने ट्रस्ट के सर्वोच्च आदेशों का उल्लंघन करते हुए ट्रस्ट की छवि को धूमिल किया है।

कहा गया कि इन महात्माओं का प्रमुख कत्र्तव्य था कि वे स्वयं तपस्विता, आज्ञापालन और त्याग का उदाहरण बनते हुए श्रद्धालुओं को श्री परमहंस अद्वैत मत की महिमा से परिचित करायें, जनमानस में आत्मिक चेतना का संचार करें। ट्रस्ट के मूल सिद्धांतों से विचलन के कारण दोनों व्यक्ति ट्रस्ट की धार्मिक और सेवाभावी गतिविधियों के लिए पूर्णत: अयोग्य सिद्ध हुए।

बताया गया कि बीते 27 जून को दोनों महात्माओं को 15 दिन का कारण बताओ नोटिस दिया गया था। किंतु इनके द्वारा आरोपों का खंडन करने की बजाए बाहरी विघटनकारी तत्वों के हस्ताक्षर युक्त धमकी भरा पत्र अनुशासनात्मक कार्य समिति को दिया गया।

बताया गया कि बीते 14 जुलाई को आयोजित न्यासी मंडल की बैठक के आधार पर निर्णय लेते हुए तत्काल प्रभाव से ट्रस्ट से दोनों महात्माओं को निष्कासित कर सेवा स्थल खाली करने के निर्देश दिए गए।

पत्रकारवार्ता में यह भी बताया गया कि सेवकों की नियुक्ति, स्थानांतरण एवं सेवा समाप्ति का पूर्ण अधिकार श्री आनन्दपुर ट्रस्ट को है। इस अधिकार की पुष्टि उच्च न्यायालय द्वारा विजय कुमार सिक्का द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में की जा चुकी है। बताया गया कि ट्रस्ट की संपत्ति एक आध्यात्मिक और लोकसेवी उद्देश्य के लिए समर्पित है, और कोई भी व्यक्ति, विशेष रूप से सन्यास ग्रहण कर सेवा में आए साधु उस पर व्यक्तिगत स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता।

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(Udaipur Kiran) / देवेन्द्र ताम्रकार

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