नाहन, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) .दीवाली जोकि एक महापर्व माना जाता है और प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है. हिमाचल के सिरमौर जिला में दीवाली को आज भी पारम्परिक प्रथाओं के अनुरूप मनाया जाता है. खासकर ग्रामीण इलाकों में खासा जोश देखने को मिलता है. दीवाली का शुभारम्भ जहां असकली बनाने से होता है जोकि पत्थर के पात्र में बनाई जाती हैं और घी, उड़द की दाल व् शक़्कर से खाई जाती हैं. इसी तरह से दीवाली के लिए खास व्यंजन बनाया जाता है जिसे कांजण कहा जाता है. यह लस्सी में चावल को उबालकर केले के पत्तों पर जमाई जाती है और इसे भाई दूज के दिन काटा जाता है और फिर गुड़ को उबालकर उसकी चाश्नीव घी मिलाकर खाया जाता है.
इसी तरह से एक और पहाड़ी व्यंजन धुरूटी उड़द की दाल को पीसकर फिर पत्तों पर करहके उबाली जाती है और फिर चावल, घी या दहीं के साथ खायी जाती है. इसी तरह कई दिनों तक त्योहारी पर्व पर पहाड़ी व्यंजन बनाने की प्रथा है.
भुजोंड गांव की छम्मी देवी ने बतायाकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हर घर में ये खाने दीवाली पर बनाये जाते हैं और इन्हे बहुत शुभ माना जाता है और दीवाली पर मेहमानो को विशेष रूप से परोसा जाता है. ग्रामीण इलाकों में आज भी यह परम्परा कायम है.
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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर
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