भागलपुर, 21 सितम्बर . पीस सेंटर परिधि द्वारा कला केंद्र भागलपुर में विश्व शांति दिवस के अवसर पर शनिवार को जातीय, नस्लीय और धार्मिक सद्भाव- लोकतंत्र का आधार विषयक संवाद का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व कुलपति डॉ फारूक अली ने करते हुए कहा कि हमें तो आशा है कि बदलाव आने वाला है और शांति कि बात करने वाले बढ़ेंगे, क्योंकि शांति के बिना मानवता नहीं बचेगी. डॉ योगेंद्र ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने विश्व पंचायत आज कुछ नहीं कर पा रहा. आज देश दुनिया में न्याय और बराबरी का घोर अभाव है, कोई अंकुश नहीं है. ऐसे में शांति कैसे स्थापित होगी?
संचालन करते हुए राहुल ने कहा कि किसी भी राष्ट्र और समाज के विकास के लिए सबसे प्रमुख आवश्यकता है शांति. शांति के माहौल में ही लोकतंत्र मजबूत हो सकता है.
अर्जुन शर्मा ने धर्म के नाम पर समाज में अशांति फैलाने की राजनीति के विरोध करने की बात की. उदय ने कहा मनुष्य सभ्यता की सबसे अहम निर्मिती प्रेम है. प्रेम के सूत्र से ही बंधकर, कबीला, गांव, परिवार और देश बना है. लेकिन संस्थाओं में प्रतिस्पर्धा और श्रेष्ठता बोध के कारण नफरत और हिंसा का भी जन्म हुआ. शांति की अहमियत को भांपते हुए ही विश्व शांति दिवस मनाने का ऐलान यूएन ने किया. जाति नस्ल वर्ण और धार्मिक संप्रदाय ये भी सभ्यता के क्रम में ही पैदा हुए है.
/ बिजय शंकर