इंदौर, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के इंदौर शहर में स्थित दो फार्मा कंपनियों द्वारा बनाई गईं दो दवाएं केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में अमानक पाई गई हैं. इनमें फेरस सल्फेट और फोलिक एसिड टैबलेट शामिल हैं.
दरअसल, Madhya Pradesh में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन के बाद किड़नी फेल होने से 24 मासूम बच्चों की मौत के बाद दवाओं के मानक होने पर सवाल खड़े हो रहे थे. इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देशभर की 112 दवाओं के सैंपल सितंबर में लिए थे, जिनकी जांच रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की है. इन अमानक दवाओं में हार्ट, ब्रेस्ट कैंसर, गैस्ट्रो, दर्द निवारक, कैल्शियम और पेट दर्द जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं भी शामिल हैं.
सीडीएससीओ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमानक दवाएं Indian फार्माकोपिया (आईपी) और पीएच मानकों के अनुरूप नहीं बनाई गईं. रिपोर्ट के अनुसार, खराब गुणवत्ता वाला कच्चा माल, निर्माण प्रक्रिया में लापरवाही और तय तापमान पर दवाओं का स्टोरेज न होना इन दवाओं के फेल होने की प्रमुख वजह हैं.
जिंक सल्फेट डिस्पर्सिबल टैबलेट 20 एमजी
इंदौर की एमसीडब्ल्यू हेल्थकेयर लिमिटेड की जिंक सल्फेट डिस्पर्सिबल टैबलेट 20 एमजी दवा का सैंपल फेल मिला है. यह दवा शरीर में जिंक की कमी को पूरा करने के काम आती है. पूरक के रूप में या गलत इस्तेमाल से पेट दर्द, वमन, सिरदर्द और थकान के लक्षण दिखते हैं. इसे कंपनी सांवेर रोड इंडस्ट्रियल के सेक्टर ई एरिया में बनाती है. सीडीएससीओ ने इसका सैंपल हिमाचल के बद्दी से लिया था.
फेरस सल्फेट और फोलिक एसिड टैबलेट का मुख्य उपयोग आयरन और फोलिक एसिड की कमी के कारण होने वाले एनीमिया (खून की कमी) के इलाज और रोकथाम के लिए किया जाता है. यह टैबलेट आयरन और विटामिन B9 (फोलिक एसिड) की कमी को पूरा करती है. यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व है. यह आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को दी जाती है. यह टैबलेट गर्भावस्था के दौरान इस कमी को पूरा करती है और न्यूरल ट्यूब दोष (एनटीडी) नामक गंभीर जन्म दोषों को रोकने में मदद करती है. यह दवा जेनिथ ड्रग्स लिमिटेड द्वारा इंदौर के धार रोड स्थित कलारिया इंडस्ट्रियल एरिया में बनाई जाती है. सीडीएससीओ ने इसका सैंपल मेघालय से लिया था.
ग्लिमेपिराइड 1 मिलीग्राम टैबलेट
यह दवा बेंगलुरू में कर्नाटका एंटीबायोटिक्स फार्मा बनाती है. सितंबर माह में इंदौर से इसका सैंपल लिया था. इसका मुख्य उपयोग टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित करना है. इस दवा का इस्तेमाल बढ़े हुए रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है. यह दवा आमतौर पर तब दी जाती है जब केवल आहार, व्यायाम और वजन कम करने से ब्लड शुगर को नियंत्रित नहीं किया जा पाता है.
क्लोपिडोग्रेल 75 एमजी और एस्पिरिन 75 एमजी
यह दवा Bihar के पटना साहिब में जी लैबोरेट्रीज द्वारा बनाई जाती है. इस दवा का उपयोग मुख्य रूप से दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए किया जाता है. यह एक कॉम्बिनेशन वाली दवा है जो खून को पतला करने वाले (एंटीप्लेटलेट) एजेंट के रूप में काम करती है.
क्लोपिडोग्रेल-एस्पिरिन टेबलेट प्लेन और 75 एमजी
यह दवा हिमाचल में थियोन फार्मा कंपनी बनाती है. इसके दो सेंपल फेल हुए हैं. एक प्लेन दवा और दूसरा 75 एमजी की दवा का. इस दवा का उपयोग मुख्य रूप से दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए किया जाता है. यह एक कॉम्बिनेशन वाली दवा है जो खून को पतला करने वाले (एंटीप्लेटलेट) एजेंट के रूप में काम करती है.
(Udaipur Kiran) तोमर
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