कोलकाता, 04 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुरुवार को साइंस सिटी में भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चयन और अभिनंदन समारोह का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में पार्टी के कई वरिष्ठ और मध्यस्तरीय नेता उपस्थित थे, लेकिन इसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को आमंत्रित नहीं किया गया। इस विषय पर शुक्रवार को दिलीप घोष ने खुलकर अपनी बात रखी।
दिलीप घोष ने सवाल के जवाब में कहा कि मेरे राजनीतिक भविष्य का फैसला पार्टी करेगी। भगवान की लेखनी में जो लिखा है, वही होगा। मुझे पार्टी ने बुलाकर जिम्मेदारी दी थी, मैंने खुद से कुछ नहीं चाहा। पार्टी ने मुझे प्रदेश अध्यक्ष, विधायक, सांसद और राष्ट्रीय नेता बनाया। पार्टी ने सुरक्षा और वाहन दिए, ये सब मैंने नहीं मांगा। अगर पार्टी अब मुझे एक साधारण कार्यकर्ता की तरह काम करने को कहे, तो मैं वैसा ही करूंगा। बुलाएगी तो जाऊंगा, नहीं बुलाएगी तो नहीं।
जब पूछा गया कि क्या वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे, तो दिलीप घोष ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह खुद से किसी फैसले की पहल नहीं करेंगे।
इस पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा है कि दिलीप घोष हमारे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व किया है। उनके विषय में जो भी निर्णय लेना है, वह पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा।
दिलीप घोष से जब यह पूछा गया कि क्या आने वाले दिनों में कोई बड़ा “राजनीतिक चौंकाने वाला कदम” देखने को मिलेगा, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि कल्पना करने में कोई खर्च नहीं है। बहुत लोग कर रहे हैं। 21 तारीख तक कल्पना की डेडलाइन दी गई है। तारीख पे तारीख मिल रही है, कुछ न कुछ मार्केट में चलता रहता है। दिलीप घोष अभी मार्केट में है।
उन्होंने तृणमूल नेताओं से अपने रिश्तों को लेकर कहा कि कुणाल घोष और अरूप विश्वास से मेरी पुरानी पहचान है। वह आज भी है और आगे भी रहेगी। मैं वैसा इंसान नहीं हूं जो एक दिन दुश्मन और दूसरे दिन दोस्त बन जाए। जो ऐसा करते हैं, उन्हें ही समस्या है। मेरे साथ ऐसी कोई बात नहीं है।
उल्लेखनीय है कि दिलीप घोष इन दिनों पार्टी के संगठनात्मक कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। कुछ समय पहले वे अपनी पत्नी के साथ दीघा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से शिष्टाचार भेंट कर आए थे, जिसके बाद भाजपा के अंदर काफी नाराजगी देखी गई थी। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से जवाब भी दिया था, लेकिन फिर वे लगातार पार्टी गतिविधियों से दूर ही नजर आए। यहां तक कि नए प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत समारोह में भी उनकी अनुपस्थिति से अटकलें और तेज हो गई हैं।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
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