यूजीसी-एमएमटीटीसी की एकेडमिक एइडवाजरी समिति की बैठक में कई अहम फैसले
रोहतक, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के यूजीसी-मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (एमएमटीटीसी) की एकेडमिक एडवाइजरी समिति की बैठक बुधवार को कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कुलपति कांफ्रेंस कक्ष में आयोजित इस बैठक में कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने शिक्षकों की क्षमता-विकास को नए आयाम देने और ट्रेनिंग प्रोग्राम को अधिक वाइब्रेंट और रिलेवेंट बनाने पर जोर दिया। बैठक में कुलसचिव डा. कृष्णकांत समेत अन्य समिति सदस्य मौजूद रहे।
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि एमडीयू का एमएमटीटीसी आने वाले समय में देश में शिक्षक प्रशिक्षण का एक सशक्त केंद्र बनकर उभरेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन का प्रयास है कि यहां से प्रशिक्षित शिक्षक न केवल अपने विषय में दक्ष हों बल्कि सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से भी समय के साथ कदम मिलाकर चलें। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि शिक्षा के बदलते स्वरूप में अब सिर्फ परंपरागत विषयों से आगे बढऩा होगा। इसी दृष्टि से फाइनेंसियल लिटरेसी, सोशल कनेक्ट, एआई, साइबर सिक्युरिटी जैसे नए विषय टीचर ट्रेनिंग में शामिल किए जाएंगे। उनका मानना है कि जब शिक्षक स्वयं वित्तीय रूप से जागरूक और सामाजिक सरोकारों से जुड़े होंगे, तभी वे विद्यार्थियों को भी जीवन-उपयोगी शिक्षा दे सकेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर फोकस
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि एमडीयू का यूजीसी-एमएमटीटीसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों को तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 शिक्षा को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के स्तर तक ले जाने की दिशा में एक मजबूत कदम है और इसमें शिक्षक सबसे अहम कड़ी हैं। एमएमटीटीसी के प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें इस बदलाव के लिए तैयार करेंगे।
ट्रेनिंग प्रोग्राम में नए विषयों को मंजूरी
बैठक में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार कई महत्वपूर्ण एडिशनल डोमेन्स पर ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने को मंजूरी दी गई। इनमें एकेडमिक लीडरशिप, रिसर्च मेथोडोलॉजी, क्लाइमेट चेंज, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, नेट जीरो, एंटरप्रेन्योरशिप, डिज़ाइन थिंकिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी और स्टेम जैसे विषय शामिल होंगे। बैठक में यह भी तय किया गया कि ट्रेनिंग कार्यक्रमों में सोशियो-इकोनॉमिकली डिसएडवांटेज्ड ग्रुप्स (पीडब्ल्यूडीज/दिव्यांग) की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। कुलपति ने कहा कि समावेशी समाज के लिए सभी वर्गों को समान अवसर मिलना चाहिए और इस दिशा में प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से मददगार साबित होंगे। अब तक प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्यत शिक्षकों तक सीमित रहते थे, लेकिन बैठक में यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय के नॉन-टीचिंग स्टाफ को भी इनसे जोड़ा जाएगा। कुलपति ने कहा कि इस पहल से न केवल प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ेगी बल्कि संस्थागत माहौल भी अधिक प्रोफेशनल और आधुनिक होगा।
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(Udaipur Kiran) / अनिल
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