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समन्वय का ग्रन्थ है महाभारत: मनोज कुमार

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जयपुर, 2 मई . अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर राजस्थान की ओर से शिक्षा संकुल परिसर में पुस्तक विमोचन एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया.

लेखक याजवेंद्र यादव की पुस्तक महासंग्राम तक यात्रा और धर्मेंद्र ‘धकू’ की कौतुक ताना पर सार्थक परिचर्चा हुई. इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने कहा प्रवृत्तियां भिन्न भिन्न प्रकार की होती हैँ. बुराई कभी असुरों, कभी कौरवों तो कभी कलयुगी वैमनस्य के रूप में हमारे सामने आती है. आज का महाभारत इसी वैमनस्यता के विररुद्ध है. आप चाहे इसे जो नाम दे सकते हैं. लेखक याजवेंद्र ने महाभारत के पात्रों को लेकर जो विवेचना की है, यह एक प्रकार से महाग्रन्थ का सार है. उन्होंने कहा महाभारत ही हमारे महाकाव्य गीता का जनक है. इसकी महत्ता आज भी प्रासंगिक है. युवाओं को महाभारत से अवश्य कुछ शिक्षा लेनी चाहिए, जिसमे यह पुस्तक मार्गदर्शक साबित होगी.

उन्होंने बताया साहित्य परिषद् समय -समय पर पुस्तक विमोचन एवं परिचर्चा गतिविधियों का आयोजन करती रहती है. धर्मेन्द्र’ धकू की पुस्तक रेखाचित्र के माध्यम से सन्देश देने का उत्कृष्ट उदाहरण है. कौतुक ताना पुस्तक के लेखक धर्मेंद्र कुमार से चर्चा विकास तिवाड़ी ने की. तिवाड़ी ने विभिन्न विषयों एवं सामाजिक मुद्दों को लेकर पुस्तक पर संवाद किया, एवं पाठकों के प्रश्न जाने. गीतांजलि गौतम ने महासंग्राम यात्रा काव्य के कृष्ण–कर्ण संवाद सर्ग का वाचन किया.

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का सम्मान पौधा देकर किया गया. कार्यक्रम के दौरान साहित्य परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री विपिन, साहित्य परिषद के प्रदेश महामंत्री केशव कुमार शर्मा, विभाग मंत्री विकास बागड़ा साहित्य कई साहित्यकार एवं पाठक मौजूद रहे.

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