शिमला, 28 मई . हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत से जुड़ी जांच को लेकर प्रशासनिक स्तर पर मचे घमासान के बीच राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विभागीय समन्वय की कमी और अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए पुलिस और प्रशासन के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया है. इनमें डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा, शिमला के एसपी संजीव गांधी और एसीएस (गृह) ओंकार शर्मा शामिल हैं.
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि सरकार किसी भी कीमत पर अनुशासन भंग और विभागीय टकराव को सहन नहीं करेगी. इस मसले को लेकर अफसरों के बीच सामने आई खुली खींचतान और सार्वजनिक बयानबाज़ी को लेकर सरकार ने यह कदम उठाया है.
एसपी शिमला संजीव गांधी हटाए गए, आईपीएस गौरव सिंह को अतिरिक्त प्रभार
शिमला के एसपी संजीव गांधी को मेडिकल लीव पर भेज दिया गया है और उनकी जगह सोलन के एसपी और आईपीएस अधिकारी गौरव सिंह को शिमला का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. संजीव गांधी ने हाल ही में मीडिया के सामने डीजीपी पर गंभीर आरोप लगाए थे और सीबीआई जांच के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही थी. उन्होंने अदालत में दायर डीजीपी के हलफनामे को भ्रामक और गैर-जिम्मेदाराना बताया था. इतना ही नहीं, सीबीआई द्वारा केस रिकॉर्ड मांगे जाने पर उन्होंने रिकॉर्ड देने से इनकार कर दिया था, जिससे सरकार ने उनके रवैये को अनुशासनहीनता माना.
डीजीपी वर्मा की छुट्टी, अशोक तिवारी को सौंपी कमान
डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा, जो कि 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, को तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर भेजा गया है. उनकी जगह 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी और विजिलेंस निदेशक अशोक तिवारी को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है. वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में एसआईटी जांच पर सवाल उठाए थे, जिससे केस और उलझ गया.
एसीएस ओंकार शर्मा भी छुट्टी पर, केके पंत को बड़ी जिम्मेदारी
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा को भी छुट्टी पर भेजते हुए उनके पास से सभी विभाग वापस ले लिए गए हैं. उनके स्थान पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पंत को एसीएस (गृह) के साथ-साथ राजस्व और अन्य विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है. ओंकार शर्मा ने सरकार के निर्देश पर अलग से रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में सौंपी थी, जो डीजीपी और एसपी की रिपोर्ट से अलग थी.
सीएम सुक्खू ने कहा— अनुशासनहीनता और टकराव को नहीं देंगे जगह
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली से लौटने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रशासनिक अनुशासन और विभागीय समन्वय में कोई चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने माना कि विमल नेगी मामले में डीजीपी, एसपी और एसीएस (गृह) की रिपोर्टों में भारी विरोधाभास सामने आया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक समन्वय पूरी तरह चरमरा गया था. उन्होंने अफसरों द्वारा सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे पर आरोप लगाने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
गौरतलब है कि पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी 10 मार्च को शिमला से रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गए थे. 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर के गोविंदसागर झील से बरामद हुआ था. मामले की शुरुआती जांच पर कई सवाल उठे थे और बाद में शिमला पुलिस और डीजीपी की रिपोर्टों में विरोधाभास उजागर हुआ. हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए, जिसके बाद जांच एजेंसियों और पुलिस प्रशासन के बीच टकराव खुलकर सामने आया.
एसपी शिमला द्वारा सीबीआई को रिकॉर्ड देने से इनकार और फिर मीडिया में दिए गए बयान, डीजीपी द्वारा गृह विभाग को निलंबन की सिफारिश, और एसीएस की अलग रिपोर्ट ने मामले को और जटिल बना दिया. सरकार ने इन सभी घटनाक्रमों को गंभीरता से लेते हुए यह सख्त कार्रवाई की है.
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/ उज्जवल शर्मा
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