उदयपुर: केंद्र सरकार द्वारा श्रीनगर में आयोजित कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की बैठक में उदयपुर लोकसभा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने भाग लिया और जनजातीय क्षेत्रों की जरूरतों को लेकर कई अहम सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की, जिसमें प्राकृतिक खेती और खाद्य तेल आत्मनिर्भरता पर विस्तृत चर्चा हुई।
महुआ से खाद्य तेल निर्माण को मिले योजना में स्थानडॉ. रावत ने बैठक में कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में महुआ के बीजों (डोलमा) से पारंपरिक तौर पर खाद्य तेल निकाला जाता है, ऐसे में इस प्रक्रिया को भी सरकारी योजना में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि खाली पड़ी वन भूमि पर अधिकाधिक महुए के पेड़ लगाए जाएं, जिससे स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ मिल सके और खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिले।
प्राकृतिक खेती को मिले मजबूत ब्रांडिंग नीतिसांसद ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इसके उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए एक स्पष्ट और विस्तृत नीति बनाना जरूरी है। उन्होंने तर्क दिया कि इससे उपभोक्ताओं में प्राकृतिक उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ेगी और यह बाज़ार में एक प्रतिष्ठित स्थान बना सकेंगे।
वन पट्टा धारकों को मिले प्राथमिकता, DMFT को जोड़ने का सुझावडॉ. रावत ने वन अधिकार कानून के अंतर्गत पट्टा प्राप्त किसानों को प्राकृतिक खेती मिशन में प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसे किसान पहले से ही जैविक या पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं, इसलिए उन्हें सरकारी प्रोत्साहन का सबसे ज्यादा हकदार माना जाना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) को इस योजना से कन्वर्जेंस मॉडल के तहत जोड़ने का सुझाव दिया, क्योंकि प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना 2024 में इसे उच्च प्राथमिकता दी गई है।
शोध परियोजनाओं में निरंतरता जरूरीडॉ. रावत ने एमपीयूएटी उदयपुर जैसे विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती से संबंधित शोध कार्यों को निरंतरता देने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अधिकतर शोध परियोजनाएं 2–3 वर्षों के बाद समाप्त कर दी जाती हैं, जिससे किसानों को दीर्घकालीन लाभ नहीं मिल पाता।
मकई के तेल पर बढ़े चर्चा, स्थानीय किसानों को हो फायदासांसद ने इस बात पर चिंता जताई कि बैठक में मकई (कॉर्न) तेल की चर्चा सीमित रही, जबकि यह एक महत्वपूर्ण खाद्य तेल स्रोत है। उन्होंने आग्रह किया कि मकई के तेल को भी राष्ट्रीय तिलहन नीति में शामिल किया जाए, जिससे खासकर मेवाड़-वागड़ क्षेत्र के किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके।
केंद्रीय मंत्री का आश्वासनकेंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती और तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है—उत्पादन बढ़े, लागत घटे, सही दाम मिले और किसान समृद्ध हो।“
Bhupendra Singh Chundawat
Bhupendra Singh Chundawat is a seasoned technology journalist with over 22 years of experience in the media industry. He specializes in covering the global technology landscape, with a deep focus on manufacturing trends and the geopolitical impact on tech companies. Currently serving as the Editor at Udaipur Kiran, his insights are shaped by decades of hands-on reporting and editorial leadership in the fast-evolving world of technology.
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प्राकृतिक खेती को मिले नई दिशा: सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने रखे अहम सुझाव, महुआ से खाद्य तेल आत्मनिर्भरता की वकालत
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