Next Story
Newszop

रेप पीड़िता को 31 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति

Send Push

प्रयागराज, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक साढ़े 17 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 31 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देते हुए कहा कि गर्भवती महिला की इच्छा और सहमति सर्वोपरि है। हालांकि गर्भ गिराने में मां और बच्चे के जीवन को खतरा हो सकता है।

गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा इस मामले में, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, पूरे परामर्श सत्र के बावजूद, याची और उसके माता-पिता गर्भावस्था को पूरी अवधि तक ले जाने के लिए सहमत नहीं हुए हैं। ऐसा सामाजिक कलंक या घोर गरीबी के डर के साथ-साथ इस तथ्य के कारण हो सकता है कि उसके साथ हुए अपराध ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से तोड़ दिया होगा ।

सरकार ने अपने प्रति-शपथपत्र में कहा था कि गर्भपात माँ और बच्चे के जीवन के लिए खतरा है। यह देखते हुए कि प्रजनन स्वायत्तता, गर्भपात, गर्भवती महिला की गरिमा और निजता का अधिकार सर्वोपरि है , न्यायालय ने कहा कि याची को परामर्श दिया जाना चाहिए और बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए क्योंकि वह गर्भावस्था के अंतिम चरण में थी।

काउंसलिंग के बाद, याची ने गर्भपात कराना चाहा। काउंसलिंग टीम ने बताया कि गर्भपात का फैसला उसके साथ हुए अपराध और उससे जुड़े सामाजिक कलंक के कारण अनचाहे गर्भ के कारण हो सकता है। हाईकोर्ट ने ए (एक्स की मां) बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि गर्भावस्था को समाप्त करने का मां का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है।

यह देखते हुए कि गर्भपात का निर्णय सामाजिक कलंक तथा पीड़िता की मानसिक और शारीरिक स्थिति के कारण हो सकता है, न्यायालय ने भारी मन से गर्भपात की अनुमति दे दी। सीएमओ आगरा ने रिपोर्ट में कहा कि जच्चा बच्चा दोनों को गर्भपात से खतरा है।

—————

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

Loving Newspoint? Download the app now