काशीपुर। चैती मेले में लगने वाले नखासा (घोड़ा) बाजार का पुराना इतिहास है। यह मेला जहां दूर-दूर तक शोहरत प्राप्त किए हुए हैं, वहीं इस मेले में देश भर के घुड़सवार व घोड़ों के शौकीन अच्छी नस्ल के घोड़ों की खरीदारी करने आते हैं।
प्रधान पंडा वंशगोपाल अग्निहोत्री ने बताया कि पुराने समय में डाकुओं के लिए भी विशेष अराय माने जाने वाली मां बाल सुन्दरी देवी मंदिर (उज्जैनी शक्ति पीठ) पर लगने वाले चैती मेले के इस नखासा बाजार से दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले डाकू भी अच्छी नस्ल के घोड़े खरीदने आते थे।
आज जितनी कीमत में इस नखासा बाजार में अच्छी नस्ल के घोड़ों की बिक्री होती है उतने में आज मारूति कार खरीदी जा सकती है। उत्तरी भारत में जिला बरेली में नबावगंज, चौबारी, सैदपुरी व रमजानपुर बैगमा (बदायूं), सोरो-एटा, देवा शरीफ एवं बड़ौदरा (राजस्थान), बटेश्वर (लखनऊ), बाराबंकी (देवरिया), बरेसट्टा (आगरा), मकंदपुर (कानपुर), उन्नाव में नखासा बाजार लगाये जाते हैं, परंतु काशीपुर के चैती मेले में लगने वाला नखासा बाजार उत्तरी भारत के नखासा बाजारों में सबसे बड़ा बाजार माना जाता है।
यहां राजस्थान से सिंधी, पंजाब के मोगा, गुजरात व पाकिस्तान से नकुरा नस्ल के घोड़ों को खरीदने वाले ज्यादा शौकीन आते हैं। श्री अग्निहोत्री ने बताया कि इस नखासा बाजार में फूलन देवी के दाहिने हाथ कहे जाने वाले डाकू मान सिंह व पश्चिम उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय माने जाने वाले नजीबाबाद-बिजनौर निवासी सुल्ताना डाकू भी भेष बदलकर अपने साथियों के साथ इस नखासा बाजार से अपनी पसंद के घोड़े खरीदने के बाद माता के मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रसाद के रूप में सोना आदि चढ़ाकर मन्नतें मांगा करता था। इतना ही नहीं फूलनदेवी भी मां बाल सुन्दरी देवी मंदिर में अपने दस्यु जीवन काल में कई बार पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगने आई थी।
चैती मेला अप्रैल के महीने में लगता है।
You may also like
जीरो क्लिक हैक: बिना क्लिक किए डेटा चोरी का नया तरीका
पत्नी ने शादी के बाद पति को धोखा देकर प्रेमी संग भागी
हवाई यात्रा के दौरान कान के दर्द से राहत पाने के उपाय
लखीमपुर खीरी में दो साल के बच्चे की हत्या: चाचा पर आरोप
उत्तराखंड का मौसम 9 अप्रैल 2025: दिल्ली को टक्कर रही पहाड़ों की गर्मी, देहरादून में पारा 35 डिग्री के पार