भारत में करदाताओं के लिए एक राहत भरी खबर! नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (National Payments Corporation of India, NPCI) ने आयकर ई-फाइलिंग वेबसाइट पर एक नई और क्रांतिकारी सुविधा शुरू की है। यह सुविधा करदाताओं को अपने पैन कार्ड और बैंक खाते को जोड़ने में त्वरित सत्यापन (Quick Verification) प्रदान करती है।
इस कदम से आयकर रिटर्न दाखिल करना न केवल आसान होगा, बल्कि रिफंड और डायरेक्ट ट्रांसफर की प्रक्रिया भी तेज और सुरक्षित हो जाएगी। आइए, इस नई पहल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
NPCI का सर्कुलर: रियल-टाइम सत्यापन की नई शुरुआत
NPCI ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किया, जिसमें इस नई सुविधा का उद्देश्य स्पष्ट किया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य बैंकों के कोर बैंकिंग सिस्टम (Core Banking System, CBS) के माध्यम से पैन विवरण, बैंक खाते की स्थिति, और खाताधारक की पहचान का रियल-टाइम सत्यापन करना है।
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए NPCI ने एक विशेष एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) विकसित किया है, जो सरकारी विभागों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह API पैन, बैंक खाते की स्थिति, और खाताधारक के नाम को तुरंत सत्यापित करने की सुविधा देता है। इस तकनीक से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
विशेषज्ञों की राय: तेज और सुरक्षित होगी प्रक्रिया
इस नई सुविधा को लेकर विशेषज्ञ भी उत्साहित हैं। सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर उत्कर्ष भटनागर का कहना है कि NPCI का यह कदम आयकर ई-फाइलिंग को और अधिक कुशल बनाएगा। उनके अनुसार, यह सुविधा करदाताओं के लिए रियल-टाइम सत्यापन की सुगमता प्रदान करेगी, जिससे आयकर रिफंड और डायरेक्ट ट्रांसफर की प्रक्रिया तेज और त्रुटि-मुक्त होगी।
साथ ही, यह धोखाधड़ी के जोखिम को भी कम करेगा। हालांकि, बैंकों को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपने सिस्टम को NPCI के सुरक्षित मानकों के अनुरूप अपग्रेड करना होगा।
करदाताओं के लिए और सुविधाएं: ITR फाइलिंग अब और आसान
आयकर विभाग करदाताओं की सुविधा के लिए लगातार नए कदम उठा रहा है। हाल ही में, आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-1 और ITR-4 फॉर्म के लिए एक्सेल सुविधा शुरू की गई है। इस सुविधा से करदाता आसानी से अपने आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। इसके अलावा, इस साल ITR-1 और ITR-4 की अंतिम तिथि को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है।
यह फैसला करदाताओं को अतिरिक्त समय प्रदान करता है, ताकि वे बिना किसी जल्दबाजी के अपने रिटर्न दाखिल कर सकें।
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